नगालैंड हिंसा: सैनिकों से आज से होगी पूछताछ, सेना ने दी एसआईटी को जोरहाट यूनिट में जाने की इजाजत

Update: 2021-12-30 02:36 GMT

नई दिल्ली. नगालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर (Nagaland Mon) को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान हुई 'गड़बड़ी' के दौरान 14 आम नागरिकों की मौत के मामले की जांच कर रही नगालैंड सरकार की SIT 21 पैरा-स्पेशल फोर्सेज द्वारा किए गए 'असफल ऑपरेशन' की जांच के लिए असम के जोरहाट में गुरुवार से घटना में शामिल अधिकारियों और सैनिकों से पूछताछ शुरू करेगा. एसआईटी अगले महीने अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा भारतीय सेना(Indian Army) ने नगालैंड सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) को ओटिंग गांव में इस अभियान में शामिल सभी सैन्य कर्मियों के बयान लेने की इजाजत देने पर भी सहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना राज्य सरकार द्वारा गठित SIT के साथ पूर्ण सहयोग कर रही है और आवश्यक विवरण और समयबद्ध तरीके से हर जरूरी चीज उन्हें प्रदान की जा रही है.

वहीं सेना के एक दल ने बुधवार को घटना स्थल का दौरा किया और आवश्यक जानकारी एकत्र की. सेना के कोलकाता मुख्यालय वाली पूर्वी कमान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मेजर जनरल के नेतृत्व में उसके 'कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' दल ने उन परिस्थितियों को समझने के लिए मौके का मुआयना किया जिनमें घटना हो सकती थी. सेना ने कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी तेजी से आगे बढ़ रही है और इसे जल्द से जल्द खत्म करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं. 'असफल' अभियान के कारण नगालैंड में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश पैदा हुआ और सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को हटाने की मांग तेज हुई.
घटना के बाद, सेना ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनात एक मेजर जनरल की अध्यक्षता में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया. सेना के बयान में कहा गया, 'मोन में हुई घटना की जांच के लिए भारतीय सेना द्वारा गठित कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने 29 दिसंबर को ओटिंग गांव में घटनास्थल का दौरा किया. वरिष्ठ रैंक के अधिकारी, एक मेजर जनरल, की अध्यक्षता में जांच दल ने उन परिस्थितियों को समझने के लिए घटनास्थल का निरीक्षण किया जिनमें घटना हो सकती थी.'
बयान में कहा गया कि टीम स्थिति की बेहतर समझ के लिए गवाहों को भी साथ ले गई थी जिससे यह समझा जा सके कि वहां क्या हुआ होगा. सेना ने कहा, 'बाद में, घटना से संबंधित बहुमूल्य जानकारी प्राप्त करने के लिए समाज के सभी वर्गों से मिलने के लिए दल दोपहर डेढ़ बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच मोन जिले के तिजिट पुलिस थाने में भी मौजूद था.'
अधिकारियों के अनुसार इस बीच, केंद्र ने पूर्वोत्तर राज्य में विवादास्पद आफस्पा को हटाने की संभावना की जांच करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. आफस्पा सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. अगर वे किसी को गोली मारते हैं तो यह उस स्थिति में बलों को प्रतिरक्षा भी देता है. उच्च स्तरीय समिति के गठन का निर्णय 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था और इसमें क्रमशः नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो और हिमंत बिस्व सरमा ने भाग लिया था.

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