पिता-पुत्र ने आपसी मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से किया दूर, अब हाईकोर्ट भी FIR रद्द करने की तैयारी में...

जानिए क्या है पूरा मामला।

Update: 2022-01-16 10:36 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पिता-पुत्र द्वारा अपने आपसी मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से दूर करने के बाद बेटे की शिकायत पर पिता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करने वाले व्यक्ति की याचिका को स्वीकार कर लिया है। एफआईआर में बेटे ने आरोप लगाया था कि उसके पिता ने उसे तब मारा जब उसने घर के मेन गेट के सामने अपने दोस्तों के साथ शतरंज खेलने पर आपत्ति जताई, जहां से घर की महिलाएं भी गुजरती हैं।

जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने अपने खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाले व्यक्ति की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दोनों पक्षों ने बिना किसी जोर जबर्दस्ती और दबाव के अपनी इच्छा से मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है और आगे कार्यवाही जारी रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह उनके बीच और कटुता पैदा करेगा, उपरोक्त एफआईआर और उसके अनुसार कार्यवाही को रद्द करना न्याय के हित में होगा। अदालत कहा कि इस प्रश्न में एफआईआर को रद्द करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।
अदालत ने कहा कि परिणामस्वरूप, थाना- न्यू उस्मानपुर में दर्ज आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत एफआईआर संख्या 707/2018 और उसके अनुसार कार्यवाही रद्द की जाती है।
अदालत एक व्यक्ति द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसके बेटे की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी, क्योंकि अब दोनों पक्षों ने समझौता कर लिया है।
एफआईआर के अनुसार, शिकायत में कहा गया है कि 5 सितंबर, 2018 को जब वह रात 9 बजे अपनी ड्यूटी से वापस आया, तो उसने देखा कि उसके पिता घर के बाहर तीन से चार लोगों के साथ शतरंज खेल रहे थे। उसने अपने पिता से कहा कि घर में बहू-बेटियों औक बच्चों सहित परिवार के अन्य सदस्य भी हैं और उन्हें दरवाजे के ठीक सामने नहीं बैठना चाहिए ताकि परिवार के अन्य सदस्य उसी दरवाजे से आ सकें और जा सकें।
एफआईआर में कहा गया कि यह सुनकर उसके पिता भड़क गए और शिकायतकर्ता को मारा जिससे वह घायल हो गया। शिकायतकर्ता की पत्नी उसे अस्पताल ले गई, जहां उसका इलाज किया गया।
पिता और पुत्र एक ही घर में और अलग-अलग मंजिलों पर रह रहे हैं और 13 दिसंबर, 2021 को आपसी समझौते के जरिए मामले को सुलझा लिया है। शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि वह अपने पिता यानी याचिकाकर्ता के हर कृत्य पर आपत्ति न करके भविष्य में भी सावधान रहेगा और शांति और सद्भाव से साथ रहेगा। शिकायतकर्ता ने पक्षों के बीच हुए समझौते की शर्तों का पालन करने का वचन दिया था।
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