मुसलमान हमेशा शरीयत और कुरान का ही करेंगे पालन, असम सीएम के फैसले पर बोले सांसद

Update: 2024-02-24 08:03 GMT

यूपी। समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने असम सरकार द्वारा मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को रद्द करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि उनकी चाहे जितनी मर्जी हो, उतने कानून बना लेने दो लेकिन मुसलमान सिर्फ शरीयत और कुरान ही मानेंगे। सपा सांसद ने कहा कि सारे टारगेट केवल मुस्लिम हैं।

समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए हसन ने कहा, "इस बात को इतना हाइलाइट करने की जरूरत नहीं है। मुसलमान शरीयत और कुरान का ही पालन करेंगे। वे (सरकार) जितने चाहें उतने अधिनियमों का मसौदा तैयार कर सकते हैं...हर धर्म के अपने-अपने रीति-रिवाज होते हैं। इनका पालन हजारों वर्षों से किया जा रहा है। उनका अनुसरण जारी रहेगा।" हसन मुरादाबद से सपा के सांसद हैं और पेशे से सर्जन हैं। वह मुरादाबाद के पूर्व मेयर भी रह चुके हैं।

वहीं कांग्रेस नेता अब्दुर रशीद मंडल ने असम कैबिनेट के फैसले को "भेदभावपूर्ण निर्णय" बताया है। उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर यह असम की कैबिनेट का एक भेदभावपूर्ण निर्णय है क्योंकि सरकार यूसीसी और बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के बारे में बात कर रही थी, लेकिन वे अज्ञात कारणों से ऐसा करने में विफल रहे। अब, जब चुनाव सिर पर है तो वे इस अधिनियम को रद्द करने और कुछ इसी तरह के फैसलों से मुसलमानों को वंचित और उनके साथ भेदभाव करके हिंदू मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में गोलबंद करने की कोशिश कर रहे हैं,यह कहते हुए कि यह आजादी से पहले का अधिनियम है और बाल विवाह को बढ़ावा दे रहा है जो तथ्य से परे है। उन्होंने कहा, "यह विवाहों को पंजीकृत करने का एकमात्र तंत्र है। मुसलमानों के लिए और कोई संस्था नहीं है और यह भारत के संविधान के अनुसार है। यह मुसलमानों का निजी कानून है जिसे रद्द नहीं किया जा सकता... मैं इस पर अपनी पार्टी के नेताओं और अपने नेताओं से चर्चा करूंगा पार्टी इस बारे में आगे की रणनीति पर बात करेगी।एआईयूडीएफ विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने कहा कि हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार में उत्तराखंड की तर्ज पर राज्य में समान नागरिक संहिता लाने की हिम्मत नहीं है।


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