1988 मर्डर केस, 2024 में दोषी 104 साल के बुजुर्ग को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आई चौंकाने वाली खबर
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच का फैसला.
नई दिल्ली: हत्या के दोषी 104 साल के बुजुर्ग को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में साल 1920 में जन्मा रसिक चंद्र मंडल 1988 में की गई एक हत्या का दोषी है। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सीजेआई खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता मंडल को रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान ट्रायल कोर्ट की शर्तों पर अंतरिम जमानत दी जाए।'
रसिक चंद्र मंडल को 1988 के हत्याकांड में 1994 में दोषी ठहराया गया था, तब वह 68 साल का था। उसे उम्रकैद की सजा हुई। इस दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी अपील को 2018 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर यहां भी उसे निराशा हाथ लगी। मंडल ने 2020 में एससी के समक्ष एक नई अपील दायर की, तब वह 99 साल का हो चुका था। उसने बुढ़ापे और बीमारियों का हवाला देते हुए समय से पहले रिहाई की गुहार लगाई।
रिटायर्ड जस्टिस ए अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस केस में 7 मई, 2021 को पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया। इसमें सुधार गृह के अधीक्षक को मंडल की शारीरिक स्थिति और स्वास्थ्य के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा जहां वह 14 जनवरी, 2019 से जेल में है। शुक्रवार को यह मामला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच के समक्ष लिस्टेड हुआ। यहां मंडल के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पूछा गया। इस पर पश्चिम बंगाल राज्य की वकील आस्था शर्मा ने पीठ को बताया कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं। हालांकि, उनकी हालत स्थिर है और वह जल्द ही अपना 104वां जन्मदिन मनाएंगे। अदालत ने मंडल की उम्र को ध्यान में रखते हुए अंतरिम जमानत मंजूर कर ली।