मुख्तार अंसारी के बेटे ने निशानेबाजी प्रतियोगिताओं के बहाने मंगवाए विदेशी हथियार
जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की।
अतुल कृष्ण
नई दिल्ली (आईएएनएस)| माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने अपने शस्त्र लाइसेंस पर अपने स्थायी पते के रूप में दिल्ली स्थित किराए के आवास को दिखाकर जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की। वह कथित रूप से आतंक फैलाने के लिए विदेशी हथियार खरीदता था।
अब्बास एक पेशेवर निशानेबाज है और पंजाब राइफल एसोसिएशन के लिए खेलता है। सूत्र ने कहा कि अब्बास ने अपने अपराध सिंडिकेट का विस्तार करने के लिए तीन साल पहले अपने हथियार लाइसेंस को दिल्ली में एक पते पर स्थानांतरित कर दिया था। वह भी कभी-कभी इसी पते पर रहता था।
सूत्र ने कहा कि उन्होंने यह जानकारी एजेंसी और फेडरेशन से छिपाई। लेकिन, जांच के दौरान यूपी एसटीएफ दिल्ली के पते पर पहुंच गई। इधर जमीन मालिक ने पुलिस को बताया कि अब्बास दो-तीन बार उस जगह पर आ चुका है और वह उसका किराए का मकान है। सूत्र ने कहा कि वह यह दिखाने के लिए किराए पर मकान लेकर जांच अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था कि वह किराए के मकान में रह रहा है।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अब्बास मुख्तार अंसारी के अंतरराष्ट्रीय संपर्क का इस्तेमाल कर निशानेबाजी प्रतियोगिता के नाम पर सिल्वेनिया से अत्याधुनिक हथियार खरीदता था। हालांकि इन हथियारों का इस्तेमाल किसी प्रतियोगिता में नहीं अवैध गतिविधियों में किया गया था और यह शूटिंग फेडरेशन के नियम के खिलाफ था। सूत्र ने कहा, सिल्वेनिया से हथियार खरीदने का मुख्य मकसद आतंक फैलाना था। इससे पहले हमने आठ आयातित हथियार और 4,500 जिंदा कारतूस जब्त किए थे। नतीजतन हमने उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया।
उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने इस सिलसिले में कई हथियार तस्करों से पूछताछ की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। उनका बयान अब्बास को और मुश्किल में डाल सकता है। यूपी एसटीएफ भी इस सिलसिले में अब्बास के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की ओर अग्रसर है।
यूपी एसटीएफ इस बात की जांच कर रही है कि 2012 से खरीदे जा रहे आयातित हथियारों का असल में इस्तेमाल अपराध में किया गया था या नहीं। वे इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि उन्हें अन्य गैंगस्टरों को लाखों रुपये में बेचा गया था या नहीं।
अब्बास के खिलाफ लखनऊ के महानगर थाने में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत मामला दर्ज किया गया था, बाद में मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी गई थी। धारा के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।