मां ने किडनी और बहन ने लीवर देकर भाई को दी जिंदगी, युवक को थी ऐसी दुर्लभ बीमारी

Update: 2022-08-10 16:30 GMT

रक्षाबंधन से पहले एक बहन ने लीवर तो मां ने अपनी किडनी देकर अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाई है। सिर्फ 22 साल की उम्र में ही मरीज को दोहरे प्रत्यारोपण से गुजरना पड़ा। मूल रूप से उत्तराखंड निवासी शख्स अब बिल्कुल ठीक है और सामान्य जीवन शैली में लौट रहा है।

नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, मरीज एक ऐसी दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी से ग्रस्त था, जिसमें उसके लीवर में एंजाइम नहीं बनते थे और किडनी सहित दूसरे अंगों पर इसका बुरा असर पड़ रहा था। मरीज सात वर्ष की उम्र से ही प्राथमिक हाइपरॉक्सिल्यूरिया टाइप 1 नामक एक आनुवंशिक परेशानी से जूझ रहा था। यह एक जीन दोष है, जिसमें जीन में एक उत्परिवर्तन एंजाइमों का बनना कम होने लगता है और लीवर की क्षमता प्रभावित होती है। इससे किडनी और अन्य अंगों जैसे हृदय, हड्डियों, रक्त वाहिकाओं आदि में अघुलनशील कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल जमा होने लगता है। साथ ही शरीर के दूसरे अंगों पर गंभीर असर पड़ने लगता है।
अस्पताल के नेफ्रोलॉजी और मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट के वरिष्ठ सलाहकार डॉ कैलाश नाथ सिंह ने मरीज को तत्काल संयुक्त किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की सिफारिश की थी। इसके चलते अस्पताल के लीवर ट्रांसप्लांट यूनिट के वरिष्ठ डॉ. नीरव गोयल व जीआई सर्जरी व ट्रांसप्लांट विभाग के डॉ. संदीप गुलेरिया की देखरेख में 16 घंटे तक ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी की गई। डॉ. नीरव गोयल ने बताया कि यह बीमारी दुनिया भर में कुछ ही लोगों में होती है।
इसका पहला लक्षण किडनी में पथरी होना है। पिछले वर्ष दिसंबर महीने में मरीज का सीरम क्रिएटिनिन बढ़ा था। स्थिति जानलेवा होती जा रही थी, इसलिए उसे संयुक्त किडनी और लीवर प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। विभिन्न जांचों के बाद मरीज की मां की किडनी और बहन का लीवर उपयुक्त मिला, जिसके बाद प्रत्यारोपण शुरू किया गया था। डॉ. संदीप गुलेरिया ने बताया कि किडनी स्टोन में कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल जमा होना रोग का पहला संकेत है।
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