गुजरात। मोरबी में 30 अक्टूबर को हुए ब्रिज हादसे के बाद पिछले 5 दिनों से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन गुरुवार रात बंद कर दिया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे राहत एवं बचाव अधिकारी हर्षद पटेल के मुताबिक अब कोई भी ऐसा शख्स नहीं बचा है, ब्रिज हादसे के बाद जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हो. इसलिए सभी जांच एजेंसियों से बातचीत के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन बंद करने का निर्णय लिया गया है. ब्रिज गिरने से लेकर अब तक, इन 5 दिनों में 135 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है. भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौसेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के अलावा स्थानीय प्रशासन की मदद से यह रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था.
गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज काफी पुराना था. रविवार का दिन होने के चलते ब्रिज पर काफी तादाद में लोग पहुंच गए थे. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कई परिवार उस पर जाने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाए. भीड़ बढ़ने के बाद रविवार की शाम अचानक ब्रिज टूट गया और सैकड़ों लोग सीधे नदी में जा गिरे.
हादसे के बाद अब तक पुल से जुड़े कई खुलासे हो चुके हैं. सामने आया है कि मोरबी का 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा पुल 143 साल पुराना था. इस पुल का उद्घाटन 1879 में किया गया था. इस केबल ब्रिज को 1922 तक मोरबी में शासन करने वाले राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था. वाघजी ठाकोर ने पुल बनाने का फैसला इसलिए लिया था, ताकि दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ा जा सके.
राजधानी गांधीनगर से 300 किलोमीटर दूर मच्छु नदी पर बना ये केबल ब्रिज 7 महीने से बंद था. पुल की मरम्मत का काम अजंता मैनुफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) को मिला था. ये कंपनी घड़ियां, एलईडी लाइट, सीएफएल बल्ब, ई-बाइक बनाती है. हालांकि, अब ये जानकारी सामने आई है कि अजंता मैनुफैक्चरिंग ने मरम्मत का ठेका किसी दूसरी कंपनी को दे दिया था.