Monsoon Update 2021: अगले 48 घंटे में कर्नाटक मानसून की संभावना, पूर्वोत्तर राज्यों में भी होगी झमाझम बारिश

भारत में मानसून ने दस्तक दे चुका है. दक्षिण-पश्चिम मानसून गुरुवार को दो दिन देरी से केरल के तट स टकराया है.

Update: 2021-06-05 11:07 GMT

भारत में मानसून ने दस्तक दे चुका है. दक्षिण-पश्चिम मानसून गुरुवार को दो दिन देरी से केरल के तट स टकराया है, जिसके बाद राज्य में बारिश होने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसके अलावा पड़ोसी लक्षद्वीप के अधिकतर इलाकों में भी बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून के अगले सप्ताह की शुरुआत में गोवा और महाराष्ट्र पहुंचने की संभावना है.

बताया जा रहा है कि अगले 48 घंटों के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के अरब सागर, महाराष्ट्र व गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों में पहुंचने की संभावना है. साथा ही साथ कर्नाटक के बचे हुए क्षेत्र को कवर कर लेने की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 24 घंटों के दौरान केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में बहुत अधिक बारिश की संभावना है.
आईएमडी के अनुसार, निचले स्तर की दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के तेज चलने की वजह से अगले पांच दिनों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापक वर्षा गतिविधि की संभावना है. 5 जून को अरुणाचल प्रदेश में छिटपुट भारी वर्षा की संभावना है, जबकि असम और मेघायल में 8 जून तक और नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में में 5-7 जून के बीच भारी बारिश होने की संभावना है. दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश और आसपास के इलाकों में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है. अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के आसपास के मैदानों में गरज के साथ छिटपुट वर्षा होने की संभावना है.
पिछले छह सालों में तीसरी बार मानसून देरी से पहुंचा
दरअसल, इस बार मानसून दो दिन की देरी से पहुंचा है. आमतौर पर चार महीने तक चलने वाले बारिश के मौसम की शुरुआत केरल में एक जून से होती है. पिछले छह वर्षों के दौरान यह तीसरी बार है जब मानसून देर से पहुंचा है. इससे पहले 2016 और 2019 में मानसून ने आठ जून को केरल में दस्तक दी थी. आईएमडी ने इससे पहले मानसून के 31 मई तक पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया था.
कैसा रहेगा दक्षिण-पश्चिम मानसून
आईएमडी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के उत्तर और दक्षिण भारत में सामान्य, मध्य भारत में सामान्य से अधिक और पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम रहने का अनुमान है. इसके सामान्य दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 96 से 104 प्रतिशत होने की संभावना है. मात्रात्मक रूप से, देश में मानसून की बारिश के एलपीए के 101 प्रतिशत होने की संभावना है. वर्ष 1961-2010 मानसून की बारिश का एलपीए 88 सेंटीमीटर था.
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