उम्र तय करने से अच्छा शिक्षा पर ध्यान दे मोदी सरकार : असदुद्दीन ओवैसी

Update: 2021-12-17 16:31 GMT

महिलाओं की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के फैसले को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है. एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जब 18 साल की उम्र में लड़का-लड़की बालिग हो जाते हैं, उन्हें सांसद विधायक चुनने की आजादी मिल जाती है, तो फिर वे अपना जीवनसाथी क्यों नहीं चुन सकते. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने ट्वीट में कहा कि मोदी सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया है. यह मौजूदा सरकार का पितृत्ववाद है, इसकी हम पहले भी अपेक्षा करते आए हैं. उन्होंने लिखा कि 18 साल की लड़की और लड़का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर सकते हैं, बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं. पीएम चुन सकते हैं, सांसद विधायक चुन सकते हैं. लेकिन शादी नहीं कर सकते. वे आपसी सहमति से यौन संबंध बना सकते हैं, लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं. लेकिन अपने जीवन साथी का चयन नहीं कर सकते. यह हास्यास्पद है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि लड़के और लड़की को 18 साल की उम्र में जब सभी अन्य कामों के लिए बालिग माना जाता है, तो उन्हें इस उम्र में कानूनी तौर पर शादी की इजाजत मिलनी चाहिए. ओवैसी ने कहा, 'कानून के बावजूद बाल विवाह बड़े पैमाने पर हो रहा है. भारत में हर चौथी महिला की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती थी लेकिन बाल विवाह के केवल 785 आपराधिक मामले दर्ज किए गए.' उन्होंने कहा कि अगर बाल विवाह पहले से अभी कम हुआ है, तो यह कानून की वजह से नहीं, बल्कि शिक्षा और आर्थिक प्रगति की वजह से. ओवैसी ने कहा कि देश में 1.2 करोड़ बच्चों की शादी 10 साल उम्र से पहले हुई है. इनमें से 84% हिंदू परिवार से और 11% मुस्लिम परिवार से हैं. इस तथ्य ये साफ होता है कि बाल विवाह को रोकने के लिए शिक्षा और मानव विकास में सामाजिक सुधार और सरकारी पहल अहम है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि शादी के लिए कानूनी उम्र से ज्यादा अच्छा है कि युवाओं के लिए शिक्षा में सुधार किया जाए और आर्थिक प्रगति की राह खोली जाए, इससे उनकी शादियों पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, देश में 45% गरीब परिवारों में बाल विवाह हुए. जबकि सिर्फ 10 अमीर परिवारों में बाल विवाह हुआ. अगर मोदी सरकार ईमानदार होती तो महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान देती. फिर भी भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां कार्य क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी घट रही है. 2005 की तुलना में 2020 में यह 26% से गिरकर 16% हो गया है.

उन्होंने कहा कि अपने फैसले खुद लेने को सुनिश्चित करने के लिए लड़कियों की शिक्षण व्यवस्थाओं में सुधार करना जरूरी है. लड़कियों की शिक्षा में सुधार के लिए सरकार ने क्या किया है? ₹446.72 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बजट का 79% विज्ञापनों पर खर्च कर दिया. आप चाहते हैं कि हम विश्वास करें कि इस सरकार के इरादे नेक हैं.

कानूनी उम्र मानदंड नहीं

ओवैसी ने कहा कि महिलाएं और पुरुष 18 साल की उम्र में गंभीर चीजों में भी बालिग माना जाता है. तो फिर शादी के लिए अंतर क्यों? कानूनी उम्र सिर्फ मानदंड नहीं है. शिक्षा, आर्थिक प्रगति और मानव विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक लक्ष्य होना चाहिए. एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को वयस्कों के मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है. अपने बारे में फैसला लेने की आजादी इस मौलिक अधिकार के लिए अहम है. इसमें एक साथी चुनने का अधिकार और बच्चे पैदा करने का फैसला लेने का अधिकार शामिल है.

Tags:    

Similar News

-->