केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आईटी कानून में संशोधन का ऐलान किया है। सरकार की ओर से बताया गया है कि अब पिछली तारीख से कोई रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मांग नहीं की जाएगी। आपको बता दें कि बीते कुछ साल से ब्रिटेन की कंपनी केयर्न और भारत सरकार के बीच इसी मुददे पर विवाद भी चल रहा है। इस विवाद में भारत सरकार पर भारी भरकम जुर्माना लगा है। क्या है मामला: दरअसल, साल 2020 के दिसंबर महीने में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मंच ने भारत सरकार के साथ रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स सबंधी विवाद में केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाया था। अदालत ने भारत सरकार को आदेश दिया था कि क्षतिपूर्ति और ब्याज सहित 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का भुगतान करे। इस रकम में केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर का मुआवजा और उस पर ब्याज के अलावा कानूनी लड़ाई का हर्जाना आदि शामिल है।
भारत सरकार ने इस आदेश को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार की संपत्ति को जब्त करके देय राशि की वसूली के लिए विदेशों में कई न्यायालयों में अपील की। फ्रांस में संपत्ति जब्त करने का है आदेश: हाल ही में लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि फ्रांस की एक अदालत ने भारत सरकार की कुछ संपत्तियों को पेरिस में जब्त करने का आदेश पारित किया है। फ्रांसीसी अदालत से केयर्न को फ्रांस में 20 भारतीय सरकारी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश मिला हुआ है।
वोडाफोन से भी है टैक्स का विवाद: केयर्न के अलावा भारत सरकार और वोडाफोन के बीच भी लंबे समय से बकाया टैक्स का विवाद चल रहा है। वोडाफोन ने भी बीते साल भारत सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का एक अहम मुकदमा जीत लिया था। इस मामले में भारत सरकार को करीब 20 हजार करोड़ रुपए का झटका लगा था। इसके बाद भारत सरकार ने सिंगापुर की अदालत में फैसले को चुनौती दी है। रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स क्या है: ये वो टैक्स है, जो आयकर विभाग कंपनियों पर लगाता है। इसके जरिए आयकर विभाग कंपनियों से पुरानी डील के भी बकाया की मांग करता है। ये टैक्स उन विदेशी कंपनियों के लिए था, जिन्होंने भारत में निवेश कर रखा है। बतौर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस बिल को सदन से पास कराया था। इसकी चपेट में वोडाफोन और केयर्न समेत कई विदेशी कंपनियां आ चुकी हैं।