मोदी ने 20 वर्षों की तपस्या से भाजपा को दिलाई 7वीं जीत

Update: 2022-12-08 12:32 GMT

दिल्ली: गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार सातवीं बार जीत एवं प्रचंड बहुमत हासिल कर एक नया इतिहास रच दिया है। 1960 में गुजरात राज्य के गठन के बाद से विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है। भाजपा के लिए यह जीत काफी मायने रखती है। आम तौर पर गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच होने वाले परंपरागत मुकाबले से अलग इस बार आम आदमी पार्टी की दमदार टक्कर ने इन चुनावों को अत्यधिक रोमांचक बना दिया था। आप के मुखिया केजरीवाल ने मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी, महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए तथा किसानों की कर्ज माफी जैसी रेवड़ियों के जरिए गुजरात की जनता को लुभाने की भरपूर कोशिश की। उधर, कांग्रेस ने भी तमाम तरह के आकर्षक वादों से वोटरों को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया। लेकिन गुजरात की जनता ने एक बार फिर भाजपा को विजयी बनाकर भगवा पार्टी पर अपनी आस्था को बरकरार रखा है। अब सवाल यह उठता है कि वे कौन से कारण हैं जिसकी बदौलत सत्ता के लिहाज से 27 साल से गुजरात में शासन कर रही भाजपा को गुजरातियों का इतना अपार स्नेह प्राप्त हुआ है। क्या वजह है कि गुजरात के मतदाताओं के विश्वास की सुई भाजपा पर अटकी हुई है।

दिल में मोदी:

2001 में केशुभाई पटेल के स्थान पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले नरेन्द्र मोदी के बारे में तब शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि यह व्यक्ति आगे चलकर एक चमत्कारिक व्यक्तित्व के रूप में लोगों के दिलों में अपनी जगह बना लेगा। भूकंप की त्रासदी से बेहाल गुजरात को फिर से खड़ा करने के महत्वपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देकर मोदी ने लोगों के दिलों में उम्मीद पैदा की। सुस्त प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त और संवेदनशील बनाकर नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में सुशासन की आधारशिला रखी। शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, उद्योग-निवेश और कानून व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के जरिए आम जनता के दिलो-दिमाग पर अपनी गहरी छाप छोड़ी।

पानी:

एक दौर था जब गुजरात में पेयजल और सिंचाई के पानी की भारी किल्लत थी। शुष्क क्षेत्र होने और अक्सर सूखे की मार झेलने के कारण गुजरात के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। गुजरात में नहरों का व्यापक ढांचा तैयार करने से लेकर सुजलाम-सुफलाम योजना एवं सौनी योजना को धरातल पर उतारकर मोदी ने किसानों की एक बड़ी समस्या के समाधान की दिशा में मजबूत कदम उठाया। मोदी ने दशकों से अटकी पड़ी सरदार सरोवर नर्मदा योजना को पूरा करने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार और योजना के विरोधियों से लोहा लिया और नर्मदा के नीर को गुजरात के कोने-कोने तक पहुंचाने में सफलता हासिल की। इस तरह, गुजरात के लिए पर्याप्त पानी का प्रबंधन कर मोदी ने राज्य की एक बड़ी समस्या को काफी हद तक हल कर दिया। कभी पानी की कमी वाले राज्य से लेकर अब पर्याप्त पानी की उपलब्धता वाले राज्य तक के सफर का नेतृत्व करने वाले मोदी को जनता इसलिए भी चुनावों में जीत का तोहफा देती है। नीति आयोग के जल प्रबंधन सूचकांक में गुजरात लगातार 3 साल से सर्वश्रेष्ठ राज्य रहा है। इसी प्रकार 2019 में भी गुजरात को देश भर में जल प्रबंधन में बेस्ट स्टेट की कैटेगरी में दूसरा स्थान मिला है। गुजरात देश के उन चुनिंदा राज्यों की श्रेणी में आ गया है जो 100 फीसदी नल से जल घोषित हो चुके हैं।

शांत और सुरक्षित गुजरात:

गुजरातियों ने वह दौर भी देखा है जब राज्य में गुंडों और माफियाओं का जबर्दस्त दबदबा था। कानून व्यवस्था की लचर स्थिति ने नागरिकों के मन में भय पैदा कर दिया था। मोदी ने सत्ता की कमान संभालने के बाद गुंडों और माफियाओं से सख्ती से निपटने का आदेश दिया। नतीजा यह कि, असामाजिक तत्वों को कमर तोड़ दी गई और राज्य में अमन स्थापित हुआ और इस तरह गुजरात की छवि एक शांत और सुरक्षित राज्य के तौर पर स्थापित हुई। यही नहीं, मोदी का नाम ही शांति का पर्याय बन गया और इसलिए ही जनता उनके केंद्र की राजनीति में जाने के बाद भी, उनके नाम पर ही भाजपा को वोट देती है।

कृषि:

कृषि क्षेत्र में गुजरात का विकास पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर रहा है। राज्य में पिछले दो दशकों में कृषि आय 9000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2,05,000 करोड़ रुपए हो गई है। नहरों के विशाल नेटवर्क का निर्माण कर गुजरात ने किसानों की मुश्किलें हल कर दी हैं। पिछले दो दशकों के दौरान गुजरात की कृषि विकास दर डबल डिजिट के आसपास रही है। किसान सम्मान निधि के अंतर्गत पिछले 3 साल में 12 किस्तों के तहत गुजरात के 57 लाख से अधिक किसानों के बैंक खातों में 12,565 करोड़ रुपए डीबीटी के जरिए हस्तांतरित किए गए हैं।

बिजली:

मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले गुजरात में बिजली क्षेत्र की हालत कुछ खास अच्छी नहीं थी। बिजली की कटौती से परेशान आम नागरिकों और किसानों की स्थिति को बदलने के लिए मोदी ने ज्योतिग्राम योजना लागू की। भारत में अपने तरह की इस पहली योजना ने बड़े शहरों सहित राज्य के 18,000 गांवों में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की। विद्यार्थियों, गृहिणियों, किसानों और व्यापारियों सभी को इसका फायदा हुआ। पिछले 20 सालों से गुजरात लगातार एक पावर सरप्लस स्टेट बना हुआ है। जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने देश में पहली बार 2009 में सौर ऊर्जा नीति की घोषणा की थी।

गरीब वंचितों का सशक्तिकरण:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत पिछले दो सालों में 71 लाख परिवारों के 3.47 करोड़ लोगों को निःशुल्क राशन दिया गया है। पिछले दो सालों में दिए गए निःशुल्क गेहूं-चावल की बात करें तो राज्य सरकार ने लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का गेहूं-चावल गरीबों को निःशुल्क उपलब्ध कराया है। इसी तरह, गरीब कल्याण मेला के 13 चरणों में 1.70 करोड़ गरीबों और जरूरतमंदों को 35,000 करोड़ रुपए से अधिक की सहायता प्रदान की गई है।

शिक्षा:

गुजरात में बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास वाली स्कूलें शुरू की गई हैं। गुजरात में 5268 स्मार्ट स्कूल्स कार्यरत हैं। इन 5268 स्मार्ट स्कूलों में 15,173 स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए हैं। राज्य सरकार के गुणोत्सव, प्रवेशोत्सव और अन्य प्रोत्साहक योजनाओं एवं पहलों से प्राथमिक शिक्षा में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं। 2002 में गुजरात में स्कूल छोड़ने की दर लगभग 37 फीसदी थी, जो आज घटकर मात्र 3 फीसदी रह गई है। विद्या समीक्षा केंद्र में राज्य की 54,273 सरकारी और निजी स्कूलों में 11.4 मिलियन विद्यार्थियों और 3.92 लाख शिक्षकों की दैनिक ऑनलाइन उपस्थिति प्राप्त होती है। मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस को गुजरात में तेजी से लागू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अगले 5 वर्षों में लगभग 10,000 करोड़ रुपए राज्य के 20,000 स्कूलों में बेहतरीन अवसंरचना सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुवा प्रदान करने के लिए खर्च किए जाएंगे।

महिला सशक्तिकरण:

गुजरात में महिलाएं कानून-व्यवस्था से काफी खुश हैं। महिला सुरक्षा के लिए एक समर्पित टीम "SHE टीम" राज्य में तैनात है। इस कदम ने महिलाओं के साथ होने वाले अपराध दर को कम करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। डायल नंबर 100 एवं 181 अभयम् पर महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित शिकायतों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाती है। 181 अभयम हेल्पलाइन अप्रैल-2015 से कार्यरत है, जिसमें 54.25 लाख से अधिक महिलाओं को आपातकालीन समय में मदद मिली। गुजरात के 33 जिलों में जुलाई, 2017 से 'वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर' कार्यरत है। इन 33 जिलों में कुल 335 वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर कार्यरत हैं। वर्ष 2022 में 18,193 महिलाओं ने इसकी मदद ली है। महिलाओं को स्थानीय निकायों में समान प्रतिनिधित्व मिला है। महिलाओं के लिए स्थानीय निकाय के चुनावों में 50 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था गुजरात में लागू है।

आदिवासियों का सशक्तिकरण:

आदिवासी कल्याण के लिए पिछले 20 सालों में कुल 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की लागत से विभिन्न विकास कार्य शुरू किए गए हैं। बजट में 26 गुना वृद्धि के साथ वर्ष 2002-03 में 100.80 करोड़ रुपए के बजट के समक्ष वर्ष 2021-22 में आदिवासियों के समग्रतः विकास केलिए 2,656.40 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने वन अधिकार अधिनियम के सफल क्रियान्वयन से 91,884 व्यक्तिगत दावे मान्य कर 60,837 हेक्टेयर वन भूमि के अधिकार आदिवासी जनों को दिए हैं।

वाइब्रेंट गुजरात:

नरेन्द्र मोदी ने भारत में पहली बार देश और दुनिया के निवेशकों के लिए एक बड़े सम्मेलन- वाइब्रेंट समिट का आयोजन किया। उद्योगों और निवेशकों की सुविधा यानी ईज ऑफ बिजनेस डूइंग के आज के कॉन्सेप्ट पर मोदी ने गुजरात में बहुत पहले ही काम करना शुरू कर दिया था। वाइब्रेंट समिट के द्विवार्षिक संस्करणों की शानदार सफलता ने गुजरात को देश का अग्रणी राज्य बना दिया। बड़े पैमाने पर उद्योग और निवेश आकर्षित होने से गुजरात के विकास को नई दिशा मिली और इससे रोजगार के व्यापक अवसर पैदा हुए। प्रगति की राह पर तेज गति से आगे बढ़ते गुजरात को अव्वल बनाए रखने के लिए जनता मोदी पर भरोसा करती है और भाजपा की सरकार बनाती है।

डबल इंजन सरकार:

दो सरकारों के बीच सामंजस्य किसी राज्य की प्रगति का अहम कारक होता है। गुजरात और केंद्र की मोदी सरकार के बीच के अनुकूल सामंजस्य ने राज्य के विकास को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही वजह है कि इन चुनावों में डबल इंजन सरकार का नारा खूब चला। यह वास्तव में प्रभावी सिद्ध हुआ। लोग इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि योजना के कार्यान्वयन और फंड आवंटन से लेकर प्रमुख परियोजनाओं की मंजूरी तक केंद्र सरकार की भूमिका राज्य को लाभ पहुंचाने में काफी अहम होती है। गुजरात में बुलेट ट्रेन, मेट्रो ट्रेन, गिफ्ट सिटी, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन जैसी अनेक परियोजनाएं केंद्र के सहयोग के चलते साकार हो रही हैं।

मृदु लेकिन दृढ़ मुख्यमंत्री:

मृदुभाषी मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की निर्णय लेने की दृढ़ता गुजरात के लोगों को पसंद आई। सरल व्यक्तित्व के धनी भूपेंद्र पटेल ने मोदी की विरासत को बड़ी सहजता के साथ आगे बढ़ाया। बड़बोलेपन से कोसों दूर रहने वाले भूपेंद्रभाई ने आम आदमी के हित में तेजी से कई निर्णय लिए। उनके कार्यकाल में गुजरात ने विकास के कई पैरामीटर्स में शानदार प्रदर्शन किया है। कह सकते हैं कि उनकी सरलता और मोदी के बताए मार्ग पर चलने की कुशलता ने इन चुनावों में लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित किया।

गुजराती प्राइड:

गुजरात की साढ़े छह करोड़ जनता खुद को नरेन्द्र मोदी से कनेक्ट करती है। उन्हें लगता है कि उनके ही बीच का एक गुजराती आज देश और दुनिया में गुजरात का नाम रोशन कर रहा है। मोदी के राज में दुनिया के बड़े देशों के बीच भारत की बढ़ती धमक और पूछ ने गुजरात के लोगों को गौरवांवित किया है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों के साथ संबंधों में घनिष्ठता हो या चीन के साथ मजबूती से मुकाबला करने का हौसला, मोदी के नेतृत्व में भारत की बढ़ती साख का लोहा आज हर कोई मान रहा है। इस तरह, एक गुजराती के रूप में मोदी की ताकत और प्रभाव पर गर्व करने वाला गुजराती इन चुनावों में भी उनके साथ खड़ा नजर आता है। 

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