नई दिल्ली। विशेष सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई। संसद के एनेक्सी हॉल में करीब डेढ़ घंटे तक मीटिंग चली। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सभी कैबिनेट मंत्री उपस्थित रहे। पीएम मोदी ने बैठ की अध्यक्षता की। बैठक में क्या हुआ। इसके बारे में अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। सरकार की ओर से बताया गया है कि कोई प्रेस ब्रीफिंग भी नहीं होगी।
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट में महिला आरक्षण समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। विशेष सत्र की घोषणा के बाद लगातार कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर सरकार क्या करने जा रही है? जानकारी के अनुसार, इस बैठक में महिला आरक्षण बिल को लेकर चर्चा की गई। परम्परा रही है कि कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस ब्रीफिंग होती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। कैबिनेट में लिए गए फैसले की जानकारी सीधे संसद में दी जाएगी।
इससे पहले संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। यह विशेष सत्र 22 सितंबर तक चलेगा। रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान सरकार ने विपक्ष को 8 विधेयकों के पेश करने की जानकारी दी थी। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कल दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों ने सोमवार को सरकार से संसद के चालू सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश करने और इसे सर्वसम्मति से पारित कराने का आग्रह किया। सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उक्त विषय पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी के प्रयास से राज्यसभा में एक बार संबंधित महिला आरक्षण विधेयक पारित हो चुका था, लेकिन अब समय आ गया है कि सत्ता पक्ष महिलाओं को विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने संबंधित विधेयक इस सत्र में पेश करे और इसे मूर्त रूप देने में भूमिका निभाए। उन्होंने विपक्षी दलों को अपने विचार रखने के लिए भी एक दिन तय करने का अनुरोध किया।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने भी देश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने वाले विधेयक को मूर्त रूप देने की मांग सरकार से की। तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने आग्रह किया, ‘‘नए संसद भवन में महिला आरक्षण विधेयक को पेश किया जाए और पारित किया जाए। इसमें देर नहीं होनी चाहिए।'' राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले ने भी देश की आधी आबादी के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने वाले विधेयक को मूर्त रूप देने की मांग सरकार से की।