1 जनवरी से बदल गए हैं मनरेगा के नियम, जानें क्‍यों है खास

Update: 2023-01-02 06:40 GMT

दिल्ली: देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार देने के लिए महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) लागू किया गया है. इस कानून के तहत रोजगार की गारंटी दी जाती है, ताकि जरूरतमंद लोग अपना जीवन-यापन कर सकें. समय के साथ इस कानून से जुड़े नियमों में कई बदलाव किए गए, ताकि भ्रष्‍टाचार पर अंकुश लगाया जा सके. उसी प्रक्रिया के तहत अब एक और नियम को बदला गया है. परिवर्तित नियम 1 जनवरी 2023 से लागू हो गया है. बदले प्रावधानों के तहत मनरेगा के अंतर्गत काम करने वालों के लिए डिजिटल अटेंडेंस (डिजिटल हाजिरी) अनिवार्य कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने इस बाबत 23 दिसंबर 2022 को ही सभी राज्‍यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों को चिट्ठी लिखी थी.

ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत 1 जनवरी 2023 से मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए डिजिटल हाजिरी लगाना अनिवार्य कर द‍िया गया है. इसका उद्देश्‍य भ्रष्‍टाचार को रोकना, जवाबदेही तय करना और मस्‍टर रोल में दोहराव से बचाव है. इस बाबत केंद्र की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मनरेगा के तहत काम करने वालों के लिए कार्यस्‍थल पर मोबाइल एप नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्‍टम पर रजिस्‍टर कराना अनिवार्य है. व्‍यक्तिगत लाभार्थी योजना/परियोजना को छूट प्रदान की गई है. आदिवासी महिलाओं की उड़ान: पहले करती थी NREGA में मजदूरी, अब बना रही सेनेटरी पैड, इस तरह शुरू किया बिजनेस

अभी तक क्‍या था प्रावधान?

मनरेगा के तहत काम करने वालों के लिए मौजूदा समय में भी डिजिटल अटेंडेंस का प्रावधान था. हालांकि, इसके लिए एक शर्त थी, जिसे अब हटा दिया गया है. दरअसल, अभी तक जहां 20 से ज्‍यादा वर्करों की जरूरत होती थी, सिर्फ वहीं डिजिटल रजिस्‍टर कराने का प्रावधान था. अब सभी कार्यस्‍थलों के लिए इसे जरूरी कर दिया गया है. बता दें कि डिजिटल अटेंडेंस के तहत मोबाइल एप पर दो बार समय का उल्‍लेख और मजदूरों की तस्‍वीरों को जियोटैग‍िंग किया जाता है.

समस्‍याएं भी कम नहीं: डिजिटल अटेंडेंस प्रावधान की काफी आलोचना भी की गई. मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप था कि सुपरवाइजर या संबंधित अधिकारियों के पास पास स्‍मार्टफोन और इंटरनेट की कनेक्टिविटी न होने की वजह से मजदूरों को काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. इसके बाद केंद्र ने इस समस्‍या को संबंधित प्रदेशों के समक्ष उठाया था.

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