पटना: बिहार में होने वाले एमएलसी चुनाव को लेकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया. हालांकि, सहयोगियों से बिना चर्चा के घोषित किए गए उम्मीदवारों को लेकर महागठबंधन की अन्य पार्टियों ने विरोध जताया है.
RJD की सहयोगी CPI(ML) के विधानसभा में 12 सदस्य हैं. सीपीआई (एमएल) ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को पत्र लिखकर उनके पुराने वादे को याद दिलाया है, जिसमें उन्होंने लेफ्ट पार्टी को अपर हाउस में प्रतिनिधित्व देने की बात कही थी. उधर, राजद की सबसे पुरानी सहयोगी रही कांग्रेस ने भी आरजेडी को याद दिलाया कि पार्टी के पास अपने दम पर एमएलसी जिताने के लिए आवश्यक विधायकों की संख्या नहीं है.
पीटीआई के मुताबिक, बिहार की 7 एमएलसी सीटों पर 20 जून को चुनाव होना है. राजद ने तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है. पार्टी ने इन 3 सीटों पर एक मुस्लिम, एक दलित और एक ब्राम्हण चेहरे को उतारा है. पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उसने समाज के हर तबके को वरीयता दी है न कि सिर्फ यादवों को. लालू यादव की पार्टी राजद पर दशकों से जाति-पाति की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है.
CPI(ML) के मीडिया इंचार्ज किमार परवेज ने बताया कि हमने तेजस्वी यादव को उनके वादे को याद दिलाने के लिए पत्र लिखा है. विधानसभा चुनाव में हमारे अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए तेजस्वी यादव ने CPI-ML को एमएलसी चुनाव में जिताने का वादा किया था.
उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी ने नाराजगी जताई है कि राजद ने उम्मीदवारों के ऐलान तक सीबीआई (एमएल) को अंधेरे में रखा. इतना ही नहीं CPI-ML ने अपील की कि आरजेडी को अपने उम्मीदवारों के ऐलान संबंधी फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए.
दरअसल, इन सीटों के लिए 2 जून से 9 जून तक नामांकन होना है. 243 सीटों वाले बिहार में राजद के पास 76 सीटें हैं. जबकि वामदलों के पास (सीपीआई-सीपीआई(एमएल)) 16 सीटें हैं. वहीं, एनडीए में बीजेपी, जदयू और जीतन राम मांझी की पार्टी हम शामिल है. एनडीए का इस चुनाव में चार सीटें जीतना तय माना जा रहा है.
उधर, कांग्रेस ने 2020 में गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं. हालांकि, कांग्रेस पिछले साल गठबंधन से बाहर आ गई. कांग्रेस ने पिछले साल दो सीटों पर हुए उपचुनाव में राजद द्वारा प्रत्याशी उतारने को लेकर गठबंधन तोड़ दिया था. दरअसल, कांग्रेस इनमें से एक सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी. इतना ही नहीं उस वक्त कहा गया था कि आरजेडी कांग्रेस द्वारा कन्हैया कुमार की तुलना तेजस्वी यादव से किए जाने से नाराज थी.