आंत से जुड़े नर्वस सिस्टम के रेगुलेट होने के तौर-तरीकों का चला पता

Update: 2021-11-15 14:57 GMT

आंत से जुड़े नर्वस सिस्टम के रेगुलेट होने के तौर-तरीकों का चला पता

पेट और आंत को लेकर किए गए एक शोध में विज्ञानियों ने पहली बार एक ऐसे विशिष्ट कारक (फैक्टर) की खोज की है, जो भविष्य में पेट संबंधी बीमारियों के इलाज में अहम साबित हो सकता है। यह निष्कर्ष माइक्रोबायोम नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

सिंडर इंस्टीट्यूट फार क्रानिक डिजीज के विज्ञानियों के इस शोध से एंटेरिक (आंत संबंधी) नर्वस सिस्टम को रेगुलेट करने वाले कारकों के बारे में समझ बढ़ी है। एंटेरिक नर्वस सिस्टम गैस्ट्रोइंस्टेसटिनल ट्रैक्ट को कंट्रोल करता है। विशेषज्ञ अब इस शोध के आधार पर गैस्ट्रोइंस्टेसटिनल विकारों का नया इलाज खोज सकते हैं। इससे आंत में जलन या सूजन संबंधी बीमारियों के अलावा कब्ज के इलाज में भी मदद मिलेगी।
कमिंग स्कूल आफ मेडिसिन के डिपार्टमेंट आफ फिजियोलाजी एंड फार्माकोलाजी में प्रोफेसर डाक्टर कैथ शार्की ने बताया कि हमने ऐसे माइक्रोबियल फैक्टर्स की खोज की है, जो एंटेरिक नर्वस सिस्टम के काम तथा संरचनात्मक समग्रता (स्ट्रक्चरल इंटेग्रिटी) को रेगुलेट करने में मदद करता है। उन्होंने बताया कि गैस्ट्रोइंस्टेसटिनल डिजीज से एंटेरिक न्यूरल कंट्रोल में बदलाव होता है, जिसका इलाज काफी कठिन होता है। लेकिन हमारे शोध से उसके इलाज में मदद मिलेगी।
हालांकि उन्होंने बताया कि फिलहाल हमें सावधान रहना होगा, क्योंकि चूहों पर किए गए शोध को इंसानों के लिए लागू करने में समय लगेगा। लेकिन इसकी शुरुआत का रास्ता खुला है।
एनिमल माडल पर किए गए इस अध्ययन में माइक्रोबायोम में कमी और फिर से पुरानी स्थिति बहाल होने से आंत के कामकाज और संरचना में बदलाव की पड़ताल की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जब माइक्रोबायोम में कमी आती है तो उससे न्यूरान को भी नुकसान होता है। जबकि प्राकृतिक तौर पर माइक्रोबायोम की बहाली पर आंत के काम सुधार होता है तथा नए न्यूरान में वृद्धि होती है।
शार्की ने बताया कि इससे इतना तो स्पष्ट है कि यदि गट (आंत संबंधी) नर्वस सिस्टम के इस लचीलेपन या क्षमता संबंधी मैकेनिज्म के जरिये क्षतिग्रस्त गट नर्वस सिस्टम की मरम्मत की जा सकती है।


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