कारोबारी की बेटी बनी साध्वी, धार्मिक और संस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया गया
सांसारिक दुनिया छोड़कर साध्वी की दीक्षा ग्रहण कर ली।
उज्जैन (आईएएनएस)| अच्छी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद युवा सुख-सुविधा पूर्ण जिंदगी जीने की सपने संजोते हैं, मगर उज्जैन के एक कारोबारी की एमबीए पुत्री को वैराग्य से मोह हो गया और उसने सांसारिक दुनिया छोड़कर साध्वी की दीक्षा ग्रहण कर ली। उज्जैन के बड़े ज्वेलर विमल भंडारी और पूजा भंडारी की 25 वर्षीय पुत्री सलोनी ने एमबीए तक शिक्षा अर्जित की है और वह अपने पिता-पिता के कारोबार में हाथ बटा रही थी, मगर उसने एक दिन सुख सुविधा पूर्ण जीवन और परिवार त्याग कर संयम की राह चुनने का फैसला किया। कुछ समय के लिए तो परिवार के सदस्यों को कुछ समझ में नहीं आया मगर बाद में उन्होंने बेटी की इच्छा को पूरी करने का संकल्प भी लिया।
सलोनी के दीक्षा लेने के मौके पर पांच दिवसीय विभिन्न धार्मिक और संस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और उसने बुधवार को दीक्षा लेते हुए सांसारिक रीति रिवाज से दूरी बना ली। संगीत प्रस्तुति के साथ उसका विदाई कार्यक्रम हुआ और मुख्य दीक्षा विधि पूरी हुई। उसने हजारों लोगों की मौजूदगी में नारी के सोलह श्रृंगार और वैभव पूर्ण जीवन केा त्यागकर दीक्षा ग्रहण की।
सलोनी ने उज्जैन के ही एक कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई की और उसके बाद उसने इंदौर में नौकरी की फिर वह अपने पिता के ज्वेलरी के कारोबार में हाथ बटाने लगी। इतना ही नहीं है वह सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा सक्रिय रहती थी, मगर अब उसे यह सब बंद करना होगा। अब व न तो वाहन का उपयोग करेगी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी रहेगी, साथ ही किसी भी तरह की विलासिता की वस्तु का का उपयोग नहीं कर सकेगी। इतना ही नहीं आजीवन पैदल विहार और मंदिर में विश्राम करना होगा। उसने माता-पिता भाई-बहन सहित सभी सांसारिक रिश्तों को त्याग दिया है अब उसे सादा जीवन जीना होगा।
सलोनी को अब दुनिया में साध्वी श्री मल्लि दर्शना श्रीजी मसा के नाम से पहचाना जाएगा। अब उसकी दुनिया के सभी सांसारिक रिश्तों से दूरी हो गई है।