लंदन से MBA, दुबई में जॉब, परिवार पर आई मुसीबत तो लौटी भारत, 3 मिनट में ही रूपाली को मिला टिकट
आगरा: फतेहाबाद सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार रूपाली दीक्षित ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से टिकट पाने में उन्हें महज 3 मिनट ही लगे। टिकट की दावेदारी के लिए उन्होंने जो दलीलें दीं उनमें बीजेपी प्रत्याशी के उस वीडियो क्लिप का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कथित तौर पर उसके पिता (जो हत्या के केस में जेल में हैं) और ठाकुर समुदाय का अपमान किया। 'अपमान' का बदला लेने की इच्छा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वह जातिवाद में विश्वास नहीं रखती हैं। वह सरकारी योजनाओं में गरीबों के लिए पारदर्शी और उचित आवंटन चाहती हैं।
रूपाली ने पीटीआई से कहा, ''मैंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या चाहती हो। मैंने कहा कि बीजेपी उम्मीदवार छोटेलाल वर्मा के खिलाफ उनके आपत्तिजनक बयान की वजह से चुनाव लड़ना चाहती हूं। मैं आपसे यह भी वादा करती हूं कि मैं यह सीट जीत जाऊंगी।'' बता दें कि दीक्षित ने बीजेपी से भी टिकट पाने का प्रयास किया था।
सपा ने रूपाली के लिए उस उम्मीदवार को किनारे कर दिया, जिसका पहले इस सीट के लिए चुनाव किया गया था। 34 साल की रूपाली लॉ में स्नातक हैं और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज से दो पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री ले चुकी हैं। सिंबोसिस यूनिवर्सिटी पुणे से ग्रेजुएशन करने के बाद वह विदेश चली गईं और कार्डिफ यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स से मार्केटिंग एंड एडवर्टाइजमेंट में एमए किया। इसके बाद उन्होंने दुबई में एक एमएनसी में तीन साल तक काम किया।
एक बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके रूपाली के पिता अशोक दीक्षित 2007 से एक हत्या केस में जेल में बंद हैं। 2015 में जब उसके चाचा और तीन अन्य रिश्तेदारों को फिरोजाबाद कोर्ट की ओर से स्कूल टीचर सुमन दुबे की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई तो रूपाली नौकरी छोड़कर देश लौट आईं। कभी बाहुबली कहे जाने वाले अशोक दीक्षित 1996 में सपा के टिकट पर लड़े थे और फिर 2022 में बसपा से टिकट मिला था। 2007 में वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े थे और उसी साल उनकी गिरफ्तारी हुई थी। वह तीनों ही बार चुनाव हार गए थे।