मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव टला

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Update: 2024-04-25 14:21 GMT
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कल यानी 26 अप्रैल को होने वाला मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव फिलहाल टल गया है. उपराज्यपाल सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक कल होने वाला मेयर चुनाव टल गया है. दरअसल, पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पर पेच फंसने से दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव रद्द हुआ है.
सूत्रों की मानें तो मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए सिफारिश मुख्यमंत्री भेजते हैं, जो फिलहाल जेल में हैं. ऐसे में किसी भी पीठासीन अधिकारी के नाम का प्रस्ताव उपराज्यपाल दफ्तर को नहीं मिला है. बताया जा रहा है कि इन परिस्थितियों में चुनाव टालने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. जब तक मेयर का चुनाव नहीं होता है, तब तक मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय ही कामकाज देखेंगी.
इस मामले में दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि कल दिल्ली में मेयर का चुनाव होना है, लेकिन अब तक पीठासीन अधिकारी के नाम वाली फ़ाइल चुनी हुई सरकार को नहीं मिली है. सौरभ भारद्वाज का आरोप था कि उनको बाइपास करते हुए मुख्य सचिव ने फाइल सीधे उपराज्यपाल के पास भेज दी है. सौरभ भारद्वाज ने मुख्य सचिव से यह बताने के लिए भी कहा था कि आखिर कौन से कानूनी प्रावधान उन्हें निर्वाचित सरकार को दरकिनार करने का अधिकार देते हैं. बता दें कि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति उपराज्यपाल द्वारा ही की जाती है. हालांकि पिछला मेयर ही नए मेयर का चुनाव कराता है, लेकिन इसके लिए उपराज्यपाल की अनुमति जरूरी होती है.
इससे पहले बुधवार को चुनाव आयोग ने कहा था कि मेयर चुनाव करवाने में चुनाव आचार संहिता की वजह से कोई रोक-टोक नहीं है. इतना ही नहीं, चुनाव आयोग ने दिल्ली नगर निगम मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर NOC जारी कर दी थी. एनओसी इसलिए ली गई क्योंकि दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू है, ऐसे में MCD को मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए चुनाव आयोग से NOC लेना जरूरी होता है.
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्री दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली नगर निगम के 26 अप्रैल के मेयर चुनाव को रद्द कर दिया है. चुनाव आयोग से अनुमति मिलने के बावजूद भाजपा ने यह चुनाव रद्द करवा दिया. उपराज्यपाल कार्यालय ने यह कहते हुए चुनाव रद्द कर दिया कि वह मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करते हैं. पिछले उदाहरण हैं जहां उन्होंने मुख्यमंत्री की सहायता और सलाह का पालन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि दूसरे कार्यकाल में मेयर का पद आरक्षित वर्ग के पार्षद के लिए आरक्षित है.
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