जम्मू: कश्मीरी पंडितों के पलायन और उनकी हत्या पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स पर विवाद जारी है. जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के जामा मस्जिद के मौलवी फारूक ने इस फिल्म को बैन करने की मांग की है. मौलवी फारूक ने कहा है कि कश्मीरी मुसलमानों के दर्द को नजरअंदाज किया गया है.
मस्जिद के अंदर लोगों को संबोधित करते हुए मौलवी फारूक ने कहा है कि कश्मीरी मुस्लिमों के दुख-दर्द को भुला दिया गया है. हजारों मुस्लिम मारे गए, उनकी चर्चा ही नहीं है लेकिन समाज को बांटने के लिए आज एक फिल्म बना दी गई है. मौलवी फारूक ने कहा हमने इस मुल्क पर 800 साल शासन किया है, इन लोगों ने 70 साल शासन किया है, हमारी पहचान को मिटा पाना मुमकिन नहीं है.
मौलवी फारूक का बयान काफी भड़काऊ है. उन्होंने कहा है कि वे फिल्म पर पाबंदी की मांग करते हैं. मौलाना फारूक ने कहा कि 32 साल के बाद उन्हें कश्मीरी पंडितों का खून नजर आया लेकिन 32 साल में कितने ही मुस्लिम मारे गए, औरतें बेवा हो गईं, घर उजड़ गए लेकिन उन्हें इनका, मुसलमानों का खून नजर नहीं आया. क्योंकि वो कलमा पढ़ने वालों का खून था. उन्होंने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान में दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है. हजारों कश्मीरी मुसलमान मारे गए लेकिन उन्हें इनका दर्द नजर नहीं आया.
राजौरी के जामिया मस्जिद के मौलवी फारूक ने कहा कि इस फिल्म में मुसलमानों के खिलाफ साजिश की गई है हम इसकी निंदा करते हैं, दिल्ली हुकुमत की निंदा करते हैं. इस फिल्म के जरिए एक दीवार खड़ी करने की कोशिश की गई है, इसे हम हरगिज बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि जो लोग हिन्दू और मुसलमान को लड़ाकर सियासत करना चाहते हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए.
मौलवी फारूक ने कहा कि हम अमनपसंद लोग हैं, हमने इस मुल्क पर 800 साल हुकुमत की है तुम्हें 70 साल हुए हैं शासन करते हुए. तुम हमारा निशान मिटाना चाहते हो, तुम मिट जाओगे लेकिन हम नहीं मिटेंगे. मौलवी फारूक ने इस फिल्म पर पाबंदी लगाने की मांग की है.