शोध से यह बात सामने आई है कि बीआरसीए1 या बीआरसीए2 जेनेटिक वेरिएंट वाली महिलाओं की अगर मास्टेक्टॉमी (एक सर्जिकल प्रक्रिया जिसमें पूरे स्तन या उसके कुछ हिस्से को हटा दिया जाता है) की जाए तो उनकी मृत्यु की संभावना कम हो सकती है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित अध्ययन बताया गया कि जोखिम को कम करने वाली मास्टेक्टॉमी उन महिलाओं की मृत्यु दर को कैसे प्रभावित करती है। जिन महिलाओं में वंशानुगत बीआरसीए1 या बीआरसीए2 वेरिएंट होता है, उनको जीवनकाल में स्तन कैंसर विकसित होने का 80 प्रतिशत जोखिम होता है।
शोध से पता चला है कि 'मास्टेक्टॉमी' स्तन कैंसर के खतरे को 90 प्रतिशत तक कम कर देता है। कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय से लॉरेंस ब्लूमबर्ग नर्सिंग संकाय के प्रोफेसर केली मेटकाफ ने कहा, ''जोखिम को कम करने वाली मास्टेक्टॉमी का निर्णय लेना अक्सर एक महिला के लिए कठिन होता है और जब वे यह निर्णय ले रही होती हैं तो हम उन्हें अधिक जानकारी उपलब्ध कराते हैंं,जिससे वह अपनी देखभाल अच्छे से कर सकें।'' मेटकाफ ने कहा कि कनाडा में रोगजनक वेरिएंट वाली 30 प्रतिशत महिलाएं इस सर्जरी का विकल्प चुनती हैं। यह इस जोखिम प्रोफाइल वाली महिलाओं में स्तन कैंसर को रोकने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
एक परीक्षण के माध्यम से, मेटकाफ और उनकी टीम ने छह वर्षों के दौरान नौ अलग-अलग देशों से रोगजनक बीआरसीए 1/2 प्रकार वाली 1,600 से अधिक महिलाओं का अनुसरण किया, जिनमें से आधी महिलाओं में जोखिम कम करने वाली मास्टेक्टॉमी थी। परीक्षण के अंत में मास्टेक्टॉमी चुनने वाले समूह में 20 को स्तन कैंसर और दो मौतें हुईं और नियंत्रण समूह में 100 स्तन कैंसर मामले और सात मौतें हुईं। मास्टेक्टॉमी ने स्तन कैंसर के खतरे को 80 प्रतिशत तक कम कर दिया, और जोखिम कम करने वाली मास्टेक्टॉमी के 15 साल बाद स्तन कैंसर से मरने की संभावना एक प्रतिशत से भी कम थी। मेटकाफ ने कहा, "हालांकि इस अध्ययन में दोनों समूहों के बीच मौतों में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था, हम जानते हैं कि जोखिम को कम करने वाली मास्टेक्टॉमी स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को काफी कम कर देती है।"
मेटकाफ ने कहा, "फिलहाल हमारे पास स्तन एमआरआई सहित स्तन कैंसर के लिए अच्छी जांच की व्यवस्था है, इसलिए सर्जरी केवल एक विकल्प के रूप में पेश की जाती है, सिफारिश के रूप में नहीं।" उन्होंने कहा, ''लेकिन मास्टेक्टॉमी के बाद महिलाओं पर इसके जोखिम कारकों का आकलन करने के लिए किए जा रहे अध्ययनों से हमें पता चलेगा कि भविष्य में इन दिशानिर्देशों को बदलने की आवश्यकता है या नहीं।