मंडी। विधानसभा चुनावों के समय मंडी जिला से कांग्रेस के कई नेता मुख्यमंत्री बनने के दावे व प्रचार करते रहे हैं, लेकिन अब सदर भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने एक खुलासा करते हुए कहा है कि कांग्रेस में मंडी से मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना था और यह बात विस चुनावों से पहले से ही तय थी। उन्होंने कहा कि विस चुनावों के समय वह प्रियंका गांधी से मिले थे। उस मुलाकात में प्रियंका गांधी ने मुझे कांग्रेस में लौटने का न्यौता देते हुए कांग्रेस में मेरे कद के बारे में भी बताया था, लेकिन जब मैंने उनसे यह पूछा कि क्या कांग्रेस में मंडी से मुख्यमंत्री चुनावों के बाद हो सकता है, तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था। बकौल अनिल शर्मा, जबकि भाजपा में मंडी को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली हुई थी और चुनावों के बाद सरकार बनती, तो यह कुर्सी मंडी में ही रहनी थी। इसीलिए उन्होंने उस समय कांग्रेस में लौटने का विचार छोड़ दिया था।
अनिल शर्मा ने कहा कि उन्होंने ने कांग्रेस नेताओं की तरह अपने हित देखने के बजाय मंडी का हित देखकर निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ये हारे नेता अब सरकारी बैठकों में कुर्सी के लिए पहुंच रहे हैं, जबकि इनको चाहिए कि वह सरकार के समक्ष मंडी के हक की बात करें। मंडी विश्वविद्यालय का दायरे कम करने का मसला उन्होंने मुख्यमंत्री से उठाया है। उन्होंने सीएम को साफ कहा है कि इस बार कांग्रेस को एक सीट मिली है, लेकिन ऐसा न हो कि अगली बार एक भी सीट न मिले। यूनिवर्सिटी का दायरा कम करने का असर लोक सभा चुनाव में भी कांग्रेस भुगतेगी। पूर्व मंत्री एवं विधायक विधायक अनिल शर्मा ने कहा है लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह अभी नौजवान हैं और कुछ भी बोल देते हैं, लेकिन उन्हें धीरे धीरे सीख कर ही पता चलेगा। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले लोक निर्माण मंत्री मंडी आए थे और एक सडक़ पर वैली ब्रिज लगाने के लिए कह दिया। इसके बाद विभाग ने वैली ब्रिज भी मंगवा लिया, लेकिन पुल आने के बाद पता चला कि यह पुल यहां लगाया ही नहीं जा सकता है। अब उस जगह पांच करोड़ से पुल बनाने की डीपीआर बनाई जा रही है।