ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में किया दावा, बंगाल हिंसा मामले में गठित जाँच कमेटी के सदस्य को बीजेपी से जुड़े होने का लगाया आरोप

Update: 2021-09-13 13:45 GMT

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भड़की हिंसा के मामले में ममता सरकार ने जांच समिति में शामिल सदस्य के बीजेपी से जुडे़ होने का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जांच समिति के सदस्यों की जानकारी वाले चार्ट के साथ जांच के सभी बिंदुओं पर नोट दाखिल करने का आदेश दिया. चुनाव के बाद हिंसा मामले में सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सुनवाई अगले सोमवार तक टाल दी. इस दौरान ममता सरकार की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि जांच समिति में बीजेपी से जुड़े लोग शामिल हैं. ये लोग एक खास नजरिए और एजेंडे के तहत डाटा इकट्ठा कर रहे हैं तो क्या ये बीजेपी की जांच समिति है?

राज्य सरकार की इस दलील पर जस्टिस बोस ने सवाल उठाया कि पहले किसी पार्टी से जुडे़ रहने पर ये कैसे माना जाए कि वह अब भी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं? इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि वह अब भी सोशल मीडिया पर ऐसे ही पोस्ट डाल रहे हैं. इस पर अदालत ने चार्ट और नोट देने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 20 सितंबर को

अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को तय कर दी, जिसमें राज्य सरकार के चार्ट पर चर्चा होगी. दरअसल ममता सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआई जांच को हरी झंडी दी थी. अपनी याचिका में ममता सरकार ने कहा है कि उसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है क्योंकि सीबीआई केंद्र के इशारे पर काम कर रही है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई टीएमसी के पदाधिकारियों के खिलाफ और मामले दर्ज कर रही है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने 19 अगस्त को आदेश दिया था कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई से कराई जाए. ममता बनर्जी की सरकार को करारा झटका देते हुए उच्च न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

इसके अलावा, कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एसआईटी के गठन का भी आदेश दिया है. इसमें पश्चिम बंगाल काडर के सीनियर अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा. बंगाल की तृणमूल सरकार की ओर से हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच का विरोध किया गया था. कोर्ट ने सीबीआई को 6 सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. 

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