बिग ब्रेकिंग: मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 85वां अधिवेशन रायपुर में होगा
ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण पल होगा: सीएम भूपेश
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने रहेंगे. सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने उनके इस्तीफे पर फैसला नहीं किया है, जो उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के दौरान दिया था. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार सचिव जयराम रमेश ने खड़गे के बारे में पूछे जाने पर कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे न केवल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में, बल्कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी विपक्षी दलों के साथ जुड़ेंगे."
उन्होंने कहा कि शनिवार शाम सोनिया गांधी के आवास पर हुई संसदीय रणनीति समूह की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के रूप में खड़गे के बने रहने पर कोई चर्चा नहीं हुई. इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया क्योंकि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भारत जोड़ो यात्रा में भाग ले रहे हैं और संसद का शीतकालीन सत्र मिस कर सकते हैं. गौरतलब है कि इस पद के दावेदारों में पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और के सी वेणुगोपाल शामिल हैं.
आज खड़गे ने स्टीयरिंग कमिटी की पहली बैठक में कहा, मेरा मानना है कि पार्टी और देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी का सबसे बड़ा हिस्सा है - "Organizational Accountability from top to bottom". अगर कांग्रेस संगठन मजबूत होगा, जवाबदेह होगा, लोगों की उम्मीद पर खरा उतरेगा, तो ही हम चुनावी जीत हासिल कर देश के लोगों की सेवा कर पाएंगे.
उन्होंने आगे कहा- मैं पार्टी के महासचिवगण व प्रभारीगण से चाहुंगा कि वो सबसे पहले खुद की जिम्मेदारी तथा संगठन की जिम्मेदारी सुनिश्चित करें. आपके प्रदेश में, जिसके आप प्रभारी हैं, अगले 30 दिन से 90 दिन के बीच में संगठन व जनहित के मुद्दों पर आंदोलन के लिए क्या रूपरेखा है? जिन प्रांतों में आज से साल 2024 के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं, वहाँ चुनाव तक क्या प्लानिंग व एक्टिविटी शेड्यूल है.
खड़गे ने कहा जब तक आप स्वयं, आपके सचिवगण, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्षगण, पार्टी के विधायक मंडल व सांसदगण इन सब व अन्य महत्वपूर्ण चीज़ों का खाका तैयार कर जमीनी स्तर पर लागू नहीं करेंगे, हमारी जिम्मेदारी पूर्ण नहीं हो सकती. पार्टी में जहाँ अपने कर्तव्य को निभाने वाले बहुत जिम्मेदार लोग हैं, वहीं कुछ साथियों ने यह मान लिया है कि जिम्मेदारी निभाने में कमी को नजरंदाज कर दिया जाएगा. यह न तो ठीक है और न ही मंजूर किया जा सकता. जो लोग जिम्मेदारी निभाने में असक्षम हैं, उन्हें नए साथियों को मौका देना पड़ेगा.