वाराणसी: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग को फव्वारा बताने वाले श्री काशी करवत मंदिर के महंत ने अपने पद का त्याग कर दिया है. उन्होंने अपने छोटे भाई को ये जिम्मेदारी सौंप दी है.
ज्ञानवापी मस्जिद में हुए एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे की कार्रवाई के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को फव्वारा बताने वाले श्री काशी करवत मंदिर के महंत ने अपने महंत पद से त्याग दे दिया. उन्होंने महंत पद की जिम्मेदारी अपने छोटे भाई को सौप दी और बताया कि वह कुचक्र का शिकार हो गए थे, जिसके प्रायश्चित के लिए उन्होंने महंत पद का त्याग कर दिया.
मस्जिद में हुए एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे की कार्रवाई के दौरान वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को लेकर कयासों का सिलसिला जारी है. कोई इसे शिवलिंग तो कोई ल फव्वारा बता रहा है. तो वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक ही श्री काशी करवत मंदिर के महंत पंडित गणेश शंकर उपाध्याय के द्वारा बीते दिनों एक इंटरव्यू के दौरान कथित शिवलिंग को फव्वारा बोलना भारी पड़ गया और आज उन्होंने अपने महंत पद से इस्तीफा देते हुए यह जिम्मेदारी अपने छोटे भाई डॉ. दिनेश अम्बाशंकर उपाध्याय को सौंप दी.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके साक्षात्कार को झूठे शीर्षकों के साथ प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है कि मैंने ऐसा दावा किया है कि सर्वे के दौरान पाई गई आकृति शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा ही है. यह सरासर गलत और झूठ था. मैंने ऐसा कोई भी दावा नहीं किया है. इसी घटना से विचलित होकर मैंने अपने स्वविवेक से इस पद को अपने अनुज को समर्पित कर दिया है. उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि महंत पद जीते जी किसी दूसरे महंत को दिया जाता है क्योंकि उनकी मृत्यु के बाद ही महन्त पद स्थानांतरित होता है. उन्होंने बताया कि यह मेरी अज्ञानता थी कि मैं कुचक्र में फंस गया और मैं जान नहीं सका. जो कुछ हुआ उसका दोषी मैं खुद हूं और मुझे कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं करनी है. मेरे न्याय के देवता खुद इसका निर्णय करेंगे. उन्होंने बताया कि उनको क्षोभ पर प्रायश्चित के लिए तपस्या करनी होगी.