महाकुंभ की वायरल ‘साध्वी’ बनी इंटरनेट सेंसेशन, इस कारण हुआ विवाद

कहा- कार्रवाई कीजिए.

Update: 2025-01-16 03:31 GMT
नई दिल्ली: निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान एक रथ पर संतों के साथ कथित तौर पर 'एंकर' हर्षा रिछारिया के बैठने को लेकर विवाद पैदा हो गया। काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने इस पर आपत्ति जताई है।
उन्होंने फेसबुक पर लिखा है, 'महाकुंभ मेले में निरंजनी अखाड़े के छावनी में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी जी महाराज से भोजन प्रसाद पर चर्चा हुई। मैंने कहा कि यह कुंभ अखाड़ों को मॉडल दिखाने के लिए नहीं आयोजित है, यह कुंभ जप, तप और ज्ञान की गंगा के लिए है। इसलिए इस कुकृत्य पर आप कार्रवाई कीजिए।'
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, 'महाकुंभ जैसे पवित्र और दिव्य आयोजन में धर्म, संस्कृति और परंपरा की रक्षा हमारा सर्वोच्च कर्तव्य है। भगवा वस्त्र, जो त्याग, तपस्या और सनातन धर्म की परम मर्यादा का प्रतीक है, उसका सम्मान हर सनातनी का धर्म है।'
उन्होंने कहा, 'भगवा धारण करना मात्र वस्त्र धारण करना नहीं, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, संयम और धर्म के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है। आज जब कुछ लोग इन पवित्र परंपराओं की मर्यादा को भंग करने का प्रयास करते हैं, तो यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन अनादि परंपराओं की रक्षा के लिए एकजुट हों।'
संत ने लिखा, 'सनातन धर्म केवल आस्था का विषय नहीं, यह एक जीवन दर्शन है जो सत्य, धर्म और मोक्ष की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करता है। महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि धर्म की पुनः प्रतिष्ठा का अवसर है। मेरा संदेश स्पष्ट है – धर्म की मर्यादा को बनाए रखना, भगवा की गरिमा की रक्षा करना और सनातन परंपराओं को पुनर्स्थापित करना हमारा परम दायित्व है।'
उन्होंने लिखा, 'हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि भगवा धारण करना केवल बाहरी आडंबर नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता और आत्मिक साधना का प्रतीक है। जो इसे धारण करें, उन्हें इसके महत्व और मर्यादा का पूर्ण ज्ञान और सम्मान होना चाहिए। सनातन धर्म की शाश्वत परंपराएं हमारी आत्मा की पहचान हैं। इनकी रक्षा करना केवल हमारा कर्तव्य नहीं, बल्कि हमारा जीवन उद्देश्य है।'
संपर्क करने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, 'यह मुद्दा पिछले दो तीन दिन से चर्चा में है। वास्तव में वह (रिछारिया) उत्तराखंड से हैं और वह हमारे अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा लेने आई थीं। वह मॉडल हैं और सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहती हैं। उन्होंने रामनामी वस्त्र पहने थे।'
उन्होंने कहा, 'हमारी परंपरा है कि जब सनातन का कोई आयोजन होता है, हमारे युवा भगवा पहनते हैं। यह कोई अपराध नहीं है। हमारे यहां परंपरा है कि कोई एक दिन, पांच दिन, सात दिन के लिए साधू होता है। इस युवती ने निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा ली थी। वह सन्यासिन नहीं बनी है और उसने भी कहा है कि वह सन्यासिन नहीं है और केवल मंत्र दीक्षा ली है। वह रथ पर बैठी थीं और लोगों ने उसे निशाना बनाना शुरू कर दिया।'
मंत्र दीक्षा का एक उदाहरण देते हुए महंत रवींद्र पुरी ने कहा, 'ओम नमः शिवाय जैसे मंत्र कान में दिए जाते हैं। ये व्यवस्था विवाह के दौरान भी होती है।'
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