महाकुंभ 2021: पहली बार निकली किन्नर अखाड़े की पेशवाई, देखने को उमड़ा जनसैलाब
हरिद्वार में गुरुवार को पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़े की भव्य पेशवाई
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : हरिद्वार में गुरुवार को पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़े की भव्य पेशवाई निकाली गई। जब तीनों अखाड़ों की पेशवाई सड़कों पर उतरी तो अद्भुत नजारा देखने को मिला। हर-हर महादेव के जयघोष के बीच फूलमाला से लदे आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, किन्नर और नागा साधुओं के दर्शन के लिए सड़कों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि लैंगिक भेदभाव किन्नरों से अच्छा कोई नहीं जानता है। वह समाज के तानों को झेलता है। किन्नरों की तरह कई महिलाएं और पुरुष भी समाज में ठुकराए जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए किन्नर अखाड़े के दरवाजे हमेशा खुले हैं। जूना अखाड़े के साथ पेशवाई में शामिल होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा कि किन्नर आज भी समाज की उपेक्षित हैं।लोग उन पर कटाक्ष करते हैं। इसकी परवाह किए बगैर किन्नर समाज आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन दुनिया का सबसे मॉडर्न धर्म है। स्वयं महादेव लिंग समानता की बात करते हैं। चारों वेदों में नारी की प्रशंसा की गई है। हमारे ग्रंथ हमें जीने की शिक्षा देते हैं।
बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी है। परिषद के हिसाब से अभी 13 अखाड़े ही हैं। हालांकि, 2019 के प्रयागराज कुंभ में किन्नर अखाड़े ने शाही स्नान किया था। अखाड़ा वर्ष 2015 में अस्तित्व में आया है। वर्ष 2016 में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर बनी हैं। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के नेतृत्व में अखाड़ा में किन्नरों का परिवार लगातार बढ़ रहा है
प्रयागराज में इसी माघ पूर्णिमा पर संतों की बैठक में किन्नर अखाड़े को हरिद्वार महाकुंभ में प्रवेश नहीं देने की बात सामने आने के बाद परिषद में घमासान मच गया था। परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने दो टूक कहा था कि वह किन्नर अखाड़े को दी अपनी जुबान नहीं तोड़ सकते हैं, भले ही उनको पद छोड़ना पड़े। श्रीमहंत हरि गिरि की नाराजगी के बाद किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े के साथ हरिद्वार महाकुंभ में स्नान करने पर सहमति बनी।
जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने नगर प्रवेश किया और धर्म ध्वजा फहराने के बाद शोभायात्रा निकाली। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि 11 मार्च के शाही स्नान के साथ उनके अखाड़े से जुड़े सभी विवादों पर विराम लग जाएगा। किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े का अंग रहेगा और सभी कर्म कांड उसके साथ करेगा।
पेशवाई में आने वाले साधु-संतों की सेवा और स्वागत करने के लिए सुबह से ही धर्मनगरी में सेवा के दरबार सजा दिए गए थे। पहले पेशवाई का समय सुबह 11 बजे था, लेकिन समय बदलकर तीन बजे कर दिया गया। इसलिए लोग पेशवाई आने का बेसब्री से इंतजार करते दिखे।
बृहस्पतिवार को पेशवाई मार्ग पर लोग सुबह ही ही जगह-जगह पानी, फल, बिस्कुट आदि के पंडाल लगाकर खड़े हो गए थे। लोग कई घंटों तक साधु-संतों के स्वागत के लिए इंतजार करते हे