आपराधिक कानून विधेयकों के हिंदी नाम को मद्रास बार एसोसिएशन ने बताया 'संविधान के विरुद्ध'
चेन्नई: मद्रास बार एसोसिएशन ने इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), इंडियन एविडेंस एक्ट और क्रीमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) का नाम बदलकर हिंदी में करने के केंद्र के कदम को संविधान के खिलाफ करार दिया है। इस संबंध में एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव भी पारित किया है।
एसोसिएशन ने 'भारतीय न्याय संहिता विधेयक', 'भारतीय नागरिक सुरक्षा विधेयक' और 'भारतीय साक्ष्य विधेयक' के जरिए इनके नाम बदलने के लिए केंद्र की आलोचना की है और इसे हिंदी को थोपने वाला कदम करार दिया है। बार एसोसिएशन ने अंग्रेजी नाम बरकरार रखने का आग्रह किया है। मद्रास बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वी.आर. कमलानाथन और सचिव डी. श्रीनिवासन ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि चर्चा और विचार-विमर्श के बाद, 23 अगस्त को आयोजित मद्रास बार एसोसिएशन की असाधारण आम सभा की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि एसोसिएशन विधेयकों के हिंदी नामकरण पर अपनी आपत्ति और पीड़ा व्यक्त करता है।
संकल्प में कहा गया है, "यह कदम भारत के संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। आगे यह निर्णय लिया गया है कि उक्त विधेयकों के सुझाव/विचार जल्द ही भारत सरकार के कानून मंत्री को भेजे जाएंगे, जिसमें पुनर्विचार करने और उपर्युक्त अधिनियमों के मूल नामों को बहाल करने का अनुरोध किया जाएगा।“
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हाल ही में संसद में नए विधेयक पेश करके आपराधिक कानूनों को बदलने के प्रयासों के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की थी। मुख्यमंत्री स्टालिन ने आरोप लगाया कि यह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक के माध्यम से भारत की विविधता के सार के साथ छेड़छाड़ करने का एक दुस्साहसिक प्रयास है जो भाषाई साम्राज्यवाद की दुर्गंध है।
यह भारत की एकता की बुनियाद का अपमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके बाद तमिल भाषा का एक शब्द भी बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। सीएम स्टालिन ने कहा कि इतिहास में तमिलनाडु और द्रमुक ऐसे दमनकारी पहलुओं के खिलाफ अगुआ बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा, "हिंदी विरोधी आंदोलनों से लेकर अपनी भाषाई पहचान की रक्षा करने तक, हमने पहले भी हिंदी थोपने के तूफान का सामना किया है और हम दृढ़ संकल्प के साथ इसे फिर से करेंगे।"
उन्होंने कहा, “हिन्दी उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की आग एक बार फिर भड़क उठी है। हिंदी के साथ हमारी पहचान को खत्म करने के भाजपा के दुस्साहस का डटकर विरोध किया जाएगा।'' सीएम स्टालिन ने 'स्टॉपहिंदीइम्पोजिशन' हैशटैग भी शुरू किया है।