समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की याचिका के विरोध में केंद्र के साथ मध्य प्रदेश सरकार

Update: 2023-04-23 06:37 GMT

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प्रवीण द्विवेदी
भोपाल (आईएएनएस)| भारत जैसे बहु-सांस्कृतिक देश में समलैंगिक विवाह को वैध किया जाना चाहिए या नहीं, इस पर चल रही बहस के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 18 अप्रैल को इस मुद्दे पर राज्य सरकारों से जवाब मांगा था, जिस पर भाजपा की अगुवाई वाली मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मध्य प्रदेश के एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह ने शुक्रवार को आईएएनएस से बात करते हुए कहा, हमने केंद्र के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत कर दिए हैं।
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने राज्यों को लिखे अपने पत्र में कहा, गौरतलब है कि विवाह का विषय भारत के संविधान की समवर्ती सूची की एंट्री 5 से संबंधित है। इसके अलावा, इस मामले पर किसी भी निर्णय के लिए मौजूदा सामाजिक रीति-रिवाजों, प्रथाओं, मूल्यों, मानदंडों, राज्य के नियमों और इस तरह के प्रभाव के आकलन की आवश्यकता होती है जो समाज के विभिन्न वर्गो में प्रचलित हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि सभी राज्य सरकारों के विचारों को शामिल करते हुए न्यायालय के समक्ष समग्र और सामंजस्यपूर्ण विचार प्रस्तुत किए जाए।
हालांकि, एडवोकेट जर्नल ने गोपनीयता बनाए रखते हुए इस विषय पर राज्य के विचारों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन सबसे अधिक संभावना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार अपने केंद्रीय नेतृत्व के साथ खड़ी होगी, जो समलैंगिक विवाह के विचार के सख्त खिलाफ है।
राज्य भाजपा इकाई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी रजनीश अग्रवाल ने कहा, केंद्र के फैसले के खिलाफ जाने का कोई सवाल ही नहीं है। केंद्र जो पहले ही उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है, उसे मध्य प्रदेश सरकार ने विचारों में बनाए रखा होगा।
सुप्रीम कोर्ट 18 एलजीबीटीक्यू प्लस कपल्स द्वारा दायर मामले में याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई कर रहा है। इसमें कोर्ट ने देश में विवाह समानता की मांग और केंद्र की अपील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है, राज्य भाजपा इकाई के भीतर एक धारणा आकार ले रही है कि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ जानबूझकर विधायी अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश भाजपा के करीब आधा दर्जन नेताओं ने आईएएनएस के साथ अपने विचार साझा किए; वे सभी मानते हैं कि सीजेआई के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक रूप से अलग विचार हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, वह (सीजेआई) पुरुष और महिला के बारे में प्रकृति के नियम को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि वैचारिक रूप से इसे स्वीकार करना आसान नहीं होगा क्योंकि इस विषय पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है, लेकिन, मुझे खुशी होगी, अगर यह (समलैंगिक विवाह) वैध हो जाएगा। एक इंसान के तौर पर हम इस पर आपत्ति नहीं जता सकते, क्योंकि यह उनकी अपनी जिंदगी है।'
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा, हम यूके की शीर्ष अदालत की ओर से दिए गए निर्णायक फैसले को आधार बना सकते हैं। समलैंगिक जोड़ों को अधिकार देने के लिए विशेष विवाह अधिनियम की रचनात्मक व्याख्या कर सकते हैं, जो पहले से ही स्टेबल बॉन्ड में शादी जैसे रिश्तों में रह रहे हैं।
अगर सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह के पक्ष में फैसला करता है, तो यह 2018 में अदालत के ऐतिहासिक फैसले के बाद से एलजीबीटीक्यू प्लस अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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