मधुमिता शुक्ला हत्याकांड, दोषी अमरमणि की रिहाई पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
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नई दिल्ली: मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी अमरमणि त्रिपाठी की आजावीन कारावास की सजा पर रिहाई से सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। शीर्ष अदालत ने मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला की अर्जी पर यूपी सरकार को नोटिस जरूर जारी किया है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को 8 सप्ताह के अंदर जवाब देने को कहा है। इस बीच निधि शुक्ला का कहना है कि वह यूपी की राज्यपाल से अपील करती हैं कि वे रिहाई पर पुनर्विचार करें। मधुमिता शुक्ला की 9 मई, 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस दौरान वह गर्भवती थीं।
सुप्रीम कोर्ट में मधुमिता शुक्ला की बहन का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि अमरमणि त्रिपाठी को रिहा करना गलता है। उन्होंने जेल से ज्यादा वक्त तो अस्पताल के बेड पर काटा था। ऐसे में उनकी सजा 18 साल की कैसे पूरी हुई। इस पर अदालत ने कहा कि हम यूपी सरकार से इस पर जवाब मांग रहे हैं। यदि आपके तर्कों में कुछ दम होगा तो फिर अमरमणि त्रिपाठी को दोबारा जेल भेजने पर विचार करेंगे। बता दें कि अमरमणि त्रिपाठी पर केस शुरुआत में यूपी में ही चल रहा था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही केस उत्तराखंड ट्रांसफर किया गया था।
इसकी वजह यह थी कि वह दबंग नेता थे और माना गया था कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। निधि शुक्ला का पक्ष रखते हुए कामिनी जायसवाल ने यूपी सरकार को जवाब देने के लिए मिले 8 सप्ताह के वक्त का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि इतना वक्त बहुत ज्यादा है। अमरमणि त्रिपाठी दबंग नेता हैं और वह इतने वक्त में कुछ भी कर सकते हैं। बता दें कि यूपी की राज्यपाल ने अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई को मंजूरी दे दी है। अब अदालत में 2 महीने बाद सुनवाई होगी। साफ है कि अमरमणि त्रिपाठी के लिए अगले दो महीने सुकून के हो सकते हैं। भले ही बाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ भी हो।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निधि शुक्ला ने कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है। यदि हमारा दुर्भाग्य न होता तो हम यूपी में पैदा ही न होते। अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई होती है तो मेरी जान को भी खतरा है। मेरा गुनाह तो यही है कि न्याय मांग लिया। यदि मेरी मौत हुई या कुछ भी हुआ तो उसकी जिम्मेदारी अमरमणि की होगी। अमरमणि त्रिपाठी तो 2012 से 2023 तक जेल ही नहीं गया। वह यूपी के अस्पतालों में ही बना रहा। उन्होंने कहा कि यूपी के सारे अफसर एक अपराधी के साथ चले गए। हमारे साथ अन्याय हो रहा है।