30,000 किमी की साइकिल यात्रा पर हैं ल्यूक, काशी को करीब से जानने और समझने की चाहत ब्रिटेन से आया वाराणसी

गंगा किनारे बसे काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां घूमने और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं

Update: 2022-01-28 12:46 GMT

वाराणसी: गंगा किनारे बसे काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां घूमने और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं. इन दिनों काशी में ब्रिटेन से आया एक शख्स चर्चा में है. खास बात ये है कि वह इस शहर को देखने और जीने साइकिल चलाकर ब्रिटेन से वाराणसी (Varanasi) आया है.

30,000 किमी की साइकिल यात्रा पर हैं ल्यूक
दरअसल, ब्रिटिश मूल के नागरिक ल्यूक ग्रेनफिल शॉ कैंसर से पीड़ित हैं. वह ब्रिस्टल से साइकिल चलाकर वाराणसी पहुंचे हैं. ल्यूक ब्रिस्टल शहर से बीजिंग तक की यात्रा पर हैं. उन्होंने कहा, "मैं ब्रिटेन के ब्रिस्टल शहर से बीजिंग तक 30,000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर हूं. वाराणसी आने का उद्देश्य हिंदुओं के पवित्र शहर को देखना है."
उत्तर प्रदेश: एक ब्रिटिश नागरिक ल्यूक ग्रेनफिल शॉ जो कैंसर से पीड़ित हैं, ब्रिस्टल से साइकिल चलाकर वाराणसी पहुंचें हैं।
उन्होंने कहा, "मैं ब्रिटेन के ब्रिस्टल शहर से बीजिंग तक 30,000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर हूं। वाराणसी आने का उद्देश्य हिंदुओं के पवित्र शहर को देखना है।" pic.twitter.com/UcQdG66tWi
कैंसर पीड़ितों को देना चाहते हैं संदेश
ल्यूक ने कहा,"इस दौरान मैं इस शहर को घूमना और व्यंजनों का स्वाद लेना चाहता हूं. मैं साइकिल चलाकर यहां इसलिए पहुंचा हूं क्योंकि मैं संदेश देना चाहता हूं कि कैंसर से पीड़ित होने के बाद भी आप बाहर जा सकते हैं और अभी भी अपने सपनों को प्राप्त कर सकते हैं."
दर्जनों देशों को पार कर पहुंचे भारत
जानकारी के मुताबिक, ल्यूक ग्रेनफिल शॉ के साथ उनकी मां भी हैं. दोनों 10 से ज्यादा देशों को पार करके वाराणसी पहुंचे हैं. वाराणसी के बाद ल्यूक कोलकाता और पश्चिम बंगाल होते हुए चीन जाएंगे. बता दें कि वाराणसी के पहले ल्यूक दिल्ली, आगरा, शिमला, चंडीगढ़, लुधियाना व अन्य कई शहर भी घूम चुके हैं. यात्रा के दौरान वह अपने सोशल मीडिया पर फोटोज़ भी शेयर करते रहते हैं.
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