देखो-देखो दिल्ली का कुतुबमीनार देखो
जनता से रिश्ता महिला टीम ने कराई कुतुबमीनार के जमीनी हकीकत से पहचान
नई दिल्ली। जनता से रिश्ता की महिला सदस्य टीम ने आज दिल्ली के कुतुबमीनार का दौरा किया। जिसमें टूरिस्टो से रूबरू हुए संपूर्ण रिपोर्ट फोटोग्राफ के साथ जन सरोकार के माध्यम से कुतुबमीनार की वर्तमन स्थिति को देखते हुए आम जनता से रुबरू हुए है। पर्यावरण के दूषित वातावरण के बाद भी आज क़ुतुब मीनार में इस प्रदूषण का ज़रा सा भी असर नहीं दिखा है। जनता से रिश्ता की टीम ने वहां जाकर जमीनी स्तर पर इस बात की तहकीकात की है। दिल्ली शहर में आने वाले सभी पर्यटकों के लिए कुतुबमीनार आज आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में शुरू करवाया था। पर ऐबक केवल काम शुरू ही करवा सका था कि उसकी मृत्यु हो गई। इल्तुतमिश ने जो ऐबक के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा, इसमें तीन मंजिलें जुड़वाईं। कुतुबमीनार में आग लगने के बाद उसका पुनर्निर्माण फिरोज शाह तुगलक के समय हुआ। इस प्रश्न का उत्तर देते समय प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले जल्दबाजी में गड़बड़ कर जाते हैं। याद रहे कि काम शुरू ऐबक ने करवाया था और पूरा करवाया इल्तुतमिश ने, और 1386 में मीनार को दुर्घटना के बाद दुरुस्त करवाया फिरोजशाह तुगलक ने। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर ही इस मीनार का नाम पड़ा जबकि कुछ बताते हैं कि बगदाद के संत कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर इस मीनार का नाम कुतुबमीनार पड़ा। काकी बाद में भारत में आकर ही रहे। इल्तुतमिश इन्हें बहुत मानता था। 72.5 मीटर ऊँची यह मीनार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्मारकों की सूची में भी शामिल है।
दिल्ली सरकार द्वारा पर्यावरण के लिए जनहित में जो कार्य किया गया है उसी के अवलोकन हेतु जनता से रिश्ता टीम ने आज वास्तविकता जानने के लिए कुतुब मीनार के परिसर का कुतुब मीनार का निरीक्षण किया और सरकार की सभी कोशिशों को बारीकी से अध्ययन करने के बाद टीम ने अध्ययन में पाया कि कुतुब मीनार की अभी भी वास्तविकता बरकरार है और आगे इसको बरकरार रखने के लिए और प्रयास करने चाहिए सरकार के द्वारा इसके संरक्षण हेतु अधिक से अधिक कुतुब मीनार के आसपास पर्यावरण संबंधित कार्यक्रम चलाकर सुरक्षित करने के लिए लंबे समय तक के लिए कार्य करें। विश्व की सबसे ऊंची ईंटो से बनी मीनार है। यह दक्षिणी दिल्ली के महरौली में स्थित है, जिसकी लंबाई 72.5 मीटर है। इसका निर्माण अंतिम हिंदू शासक के हारने के बाद 1193 ई. में कुतुबुद्धीन ऐबक द्वारा करवाया गया। कुतुब परिसर में 2 मस्जिदें भी है, जिनमे से एक मस्जिद कुव्वत उल इस्लाम उत्तर भारत की सबसे पुरानी मस्जिद है।
राजधानी दिल्ली में ये इमारत भारतीय-इस्लामी संस्कृति का बेहद खूबसूरत उदाहरण है। कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया लेकिन वो इसे पूरा नहीं करवा सके। बाद में इल्तुतमिश ने इसे पूरा करवाया। अलाउद्दीन खिलजी ने भी इसमें निर्माण कार्य करवाया और इसका मुख्य प्रवेशद्वार अलाई दरवाजा 1311 ई. ने बनकर पूरा हुआ।
जनता से रिश्ता दिल्ली सदसयगण
साल 1199 ई. में दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुब-उद-दीन-ऐबक ने इसका निर्माण कार्य शुरू करवाया यह शुरुआत में सिर्फ एक मंजिला इमारत था जिसका नाम कुतुब मीनार था जिसके बाद कुतुब-उद-दीन-ऐबक के दामाद शम्सुद्दीन इत्मुनिश ने 1220 ई. में इसमें तीन मंजिलें जोड़कर इसका काम पूरा करवाया। यह मीनार प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई बार क्षतिग्रस्त हुई जिसे फिरोज शाह तुगलक ने मरम्मत करके ठीक करवाया। बाद में मुगल शासक शेरशाह सूरी ने इसमें एक मंजिल और जोड़कर इसे आज का रूप दिया।
कुतुब मीनार के आसपास घूमने लायक जगह
महरौली पुरातत्व पार्क:- यह कुतुब मीनार परिसर से सटा हुआ 200 एकड़ में फैला एक पुरातत्व पार्क है। इसमें 1060 ईस्वी में तोमर राजपूतों द्वारा निर्मित लाल कोट के खंडहर शामिल हैं।
इल्तुतमिश का मकबरा:- यह दिल्ली का सुल्तान हुआ करता था जिसका मकबरा आज भी बिना छत के है।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद:- भारत की सबसे पुरानी मस्जिद है।
इमाम जामिन का मकबरा:- एक सूफी संत की कब्र है जो तुर्केमिस्तान से भारत आया।
क़ुतुब मीनार हिंदू और जैन विवाद
क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद कुतुब मीनार परिसर में बनी है जिसमे दर्जनों हिंदू और जैन मंदिरों के स्तंभों और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। और कुछ हिंदू संगठनों ने तो इसे मस्जिद मानने से इंकार कर दिया और कहा की ये एक मंदिर है इसमें पूजा का अधिकार होना चाहिए। दिल्ली के सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक अफगानिस्तान में स्थित जाम की मीनार से प्रभावित थे और वे उससे भी बड़ी मीनार बनाना चाहते हैं जिसके कारण उन्होंने कुतुब मीनार काम शुरू करवाया। कुतुब मीनार परिसर में स्थित लौह स्तंभ बहुत पुराना होने के बावजूद उसमे आज तक जंग नही लगी।
हवा मार्ग:- कुतुब मीनार से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के शहरो के साथ विदेशी पर्यटकों की आने में भी मदद करेगा।
रेल मार्ग:- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन दिल्ली रेलवे स्टेशन है जो एक राजधानी रेलवे स्टेशन है जिसके कारण भारत के किसी भी हिस्से से आप आसानी से यात्रा कर सकते है।
सड़क मार्ग:- दिल्ली भारत की राजधानी है और एक विकशित शहर भी जिसके कारण राष्ट्रीय राजमार्गो सहित सड़को का जाल दिल्ली में बिछा हुआ है।