नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिद्धि विनायक लॉजिस्टिक्स लिमिटेड (एसवीएलएल) के खिलाफ कथित तौर पर 87.46 करोड़ रुपये की बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसी को मार्च 2021 में उमा शंकर सिन्हा, सहायक महाप्रबंधक (एजीएम), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) जोनल शास्त्र केंद्र, मुंबई से एक शिकायत मिली, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने बैंक ऋण धोखाधड़ी की है।
सिन्हा ने कहा कि 2013 से 2017 के बीच एसवीएलएल के निदेशक रूप चंद ने 335 वाहनों की खरीद के लिए 100 करोड़ रुपये का टर्म लोन मांगा। बैंक ने 335 वाहनों की खरीद के लिए ऋण स्वीकृत किया, जबकि कंपनी ने केवल 240 वाहनों की सूची प्रदान की।
जैसा कि बैंक को संदेह था कि उधारकर्ता ने शेष 95 वाहन नहीं खरीदे और धन को डायवर्ट कर दिया। इसने लेनदेन की वास्तविकता को सत्यापित करने के लिए एक चार्टर्ड एकाउंटेंट नियुक्त किया।
आंतरिक जांच में बैंक ने पाया कि 240 वाहनों में से केवल 221 को पीएनबी के पास ²ष्टिबंधक रखा गया था। एक वाहन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पास ²ष्टिबंधक था और 10 वाहनों के संबंध में किसी बैंक का कोई प्रभार नहीं था। रोड टैक्स का भुगतान न करने के कारण शेष आठ वाहनों का विवरण सत्यापित नहीं किया जा सका।
यह भी पता चला कि पीएनबी को गिरवी रखे गए कुछ वाहनों को आंध्रा बैंक और एसबीआई द्वारा वित्तपोषित किया गया था। एसवीएलएल ने वाहनों के एक ही सेट के लिए कई जगह से ऋण लिया।
एसवीएलएल ने धोखाधड़ी से बंधक संपत्ति का निपटान किया। कंपनी द्वारा 95 वाहनों का आरटीओ पंजीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। या तो उधारकर्ता ने 95 वाहन नहीं खरीदे या वे आरटीओ के साथ पंजीकृत नहीं थे। अभियुक्तों ने पीएनबी से 87.46 करोड़ रुपये का गलत लाभ हासिल किया।