लिवर विकसित होगा...दुनिया में ये पहला मानव ट्रायल जारी, जानें डिटेल्स

Update: 2022-08-29 04:54 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: इंसान के शरीर में केवल एक ही लिवर होता है, लेकिन जिन लोगों को लिवर की गंभीर बीमारी है, वे एक नई तकनीक से दूसरा लिवर भी विकसित कर सकते हैं. दूसरा, तीसरा या शायद पांचवा लिवर भी उन्हें इस तकनीक से मिल सकता है. दुनिया में ये पहला मानव ट्रायल किया जा रहा है, जिसके लिए एक वॉलेंटीयर जल्द ही इस प्रक्रिया से गुजरेगा. इससे उनके लिए दूसरा लिवर विकसित किया जा सकता है और उनका जीवन बचाया जा सकता है.

एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू (MIT Technology Review) जर्नल में प्रकाशित पत्र के मुताबिक, अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो भविष्य में वॉलेंटियर पर स्ट्रॉन्ग डोज़ का टेस्ट किया जाएगा, इससे हो सकता है कि 6 'मिनी लिवर' तक विकसित किए जा सकें.
सीधे शब्दों में कहें, तो इस प्रक्रिया में, डोनर के लिवर से सेल्स को मरीज़ के लिम्फ नोड्स में इस उम्मीद में इंजेक्ट किया जाएगा कि इससे नए अंग विकसित होंगे. डोनेट किए गए लिवर, ट्रांस्प्लांट के लिए सही नहीं हैं, लेकिन फिर भी मरीजों का जीवन बचाने का विकल्प दे सकते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि सिर्फ एक लिवर से 75 से ज्यादा लोगों का इलाज किया जा सकता है.
लिवर के ऐसा कई मामले हैं जहां लिवर ज्यादा खराब होता है. इन मामलों में, अक्सर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ती है. हालांकि, लिवर की बीमारी से पीड़ित मरीज जो आखिरी स्टेज में होते हैं, वे हमेशा ट्रांसप्लांट कराने की स्थिति में नहीं होते. क्योंकि वे इतने बीमार होते हैं कि वे सर्जरी से नहीं गुजर सकते. दुर्भाग्य से, ऐसे मामलों में भी जहां ट्रांसप्लांट ही विकल्प है, वहां भी एक खराब लिवर से स्वस्थ लिवर को बदलना इतना आसान नहीं होता. डोनेट किए गए लिवर की संख्या भी कम होती है और मिलने में समय भी बहुत लगता है. ऐसे में कई मरीजों की मौत हो जाती है. इसलिए इसके विकल्प की सख्त ज़रूरत है.
हाल ही में, एक बायोटेक कंपनी ने चूहों का कृत्रिम भ्रूण बना लिया. इसका उद्देश्य भ्रूण के अंदर शरीर के अलग-अलग हिस्सों की कोशिकाओं को विकसित करके अंग विकसित करना है. ये अंग ज़रूरतमंदों के काम आ सकते हैं. हालांकि, इसकी आलोचनाएं भी हो रही हैं. लेकिन कंपनी लाइजेनेसिस (LyGenesis) के इस नए ट्रीटमेंट में कोई समस्या नहीं है.
अब तक, टीम को जानवरों में सफलता मिली है, अब वे इंसानों पर ट्रायल करने जा रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें यहां भी सफलता मिलेगी. सूअरों पर किए गए प्रयोग में शोधकर्ताओं ने खराब लिवर वाले सुअर के लिम्फ नोड्स में लिवर सेल्स को विकसित किया था.
लाइजेनेसिस के सह-संस्थापक माइकल हफर्ड (Michael Hufford) का कहना है कि समय के साथ, लिम्फ नोड पूरी तरह से गायब हो जाता है, और रह जाता है एक छोटा मिनिएचर लिवर, जो जानवर की ब्लड सप्लाई को फ़िल्टर करने में मदद करता है. ठीक यही हम अब मनुष्यों में करना चाह रहे हैं.
इस ट्रीटमेंट को पहले लिवर की बीमारी से जूझ रहे लास्ट स्टेज के 12 वयस्कों में किया जाएगा. पहले मरीज को करीब 5 करोड़ लिवर सेल्स दी जाएंगी और बाद वालों को करीब 25 करोड़. इतनी सेल्स से बाद वाले मरीजों में 5 मिनी लिवर विकसित हो सकते हैं. इंजेक्शन के बाद एक साल तक हर मरीजों की स्टडी की जाएगी. उनका शरीर इन मिनी लिवर को अस्वीकार न करे, इसके लिए उन्हें आजीवन इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाएं (Immunosuppressant Drugs) लेनी होंगी.
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