केजरीवाल सरकार के लिए सिर दर्दी बन गया शराब घोटाला

Update: 2022-08-21 01:04 GMT

दिल्ली। दिल्ली का शराब घोटाला आम आदमी पार्टी सरकार के लिए बड़ा सिर दर्दी बन गया है. जो मामला शुरुआत में सिर्फ एलजी बनाम केजरीवाल तक सीमित दिखाई पड़ रहा था, अब सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तक आंच पहुंच गई है और कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. इस पूरे मामले के कई पहलू हैं, कई किरदार हैं और एक ऐसी राजनीति है जिसके तार सीधे-सीधे 2024 के लोकसभा चुनाव से जुड़ रहे हैं.

शराब घोटाले के पूरे घटनाक्रम की बात करें तो इसकी शुरुआत शुक्रवार सुबह से हो गई थी. सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर रेड डाली. उनके साथ-साथ कई दूसरे सरकारी अधिकारियों के घर पर भी छापेमारी चली. ये दौर पूरे 14 घंटे तक चलता रहा. इस रेड के दौरान सीबीआई ने कई दस्तावेज जमा किए, बताया गया कि कुछ तो वो सीक्रट डॉक्यूमेंट्स थे जो किसी भी सरकारी अधिकारी के आवास पर नहीं होने चाहिए थे. जांच का दायरा आगे बढ़ा तो जांच एजेंसी ने सिसोदिया की गाड़ी तक की जांच कर डाली. जब 14 घंटे बाद ये रेड खत्म हुई, तो सीबीआई अपने साथ मनीष सिसोदिया का फोन ले गई, लैपटॉप भी जब्त कर लिया गया और उनके ईमेल डेटा को भी सिक्योर किया गया.

अब पहले दिन की सीबीआई कार्रवाई ने अगले दिन की भूमिका तैयार कर दी थी. रेड का दौर समाप्त हुआ था, ऐसे में अगला कदम पूछताछ होना था. सवाल सिर्फ ये था कि सीबीआई सबसे पहले मनीष सिसोदिया से पूछताछ करेगी या फिर उनके करीबियों को बुलाया जाएगा. शनिवार सुबह सीबीआई ने उम्मीद के मुताबिक अपनी पूछताछ शुरू की. मनीष सिसोदिया के उन करीबियों को सवाल-जवाब के लिए बुलाया गया, जिन पर आरोप है कि उन्होंने कमीशन लेने के बदले शराब व्यापारियों को लाइसेंस दिए. उन करीबियों से 12 घंटे तक लगातार पूछताछ हुई, दस्तावेजों के आधार पर कई सवाल दागे गए, अब क्या जवाब दिए गए, सीबीआई का क्या काउंटर रहा, अभी तक इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है.

लेकिन शुक्रवार को सीबीआई ने इस मामले में जो FIR दर्ज की थी, उससे जांच एजेंसी के सवालों का अंदाजा लगाया जा सकता है. FIR कॉपी में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को मुख्य आरोपी माना है. ऐसे में इस केस में उनकी भूमिका को लेकर सबसे ज्यादा संदेह है. FIR कॉपी का दूसरा पहलू सिसोदिया के ही करीबियों से जुड़ा हुआ है. FIR कॉपी से पता चलता है कि अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अरुण पांडे शराब व्यापारियों से कमीशन लिया करते थे. कमीशन के बदले में ही लाइसेंस दिया जाता था. ऐसे में सिसोदिया के ये करीबी पूछताछ के दौरान क्या जवाब देते हैं, ये काफी मायने रखने वाला है क्योंकि उसी के आधार पर डिप्टी सीएम से आगे सवाल दागे जा सकते हैं.

अभी तक तो मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में उनसे भी सवाल किए जाएंगे. राजधानी की सियासत में वो एक बड़ी घटना साबित हो सकती है. अभी के लिए मनीष सिसोदिया पर बडे़ आरोपों की बात करें तो पहला तो ये कि Private Vendors को 144 करोड़ 36 लाख रुपये का फायदा पहुंचाया गया तो वहीं दूसरा आरोप ये है कि उन्होंने कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना और उप-राज्यपाल के बिना फाइनल अप्रूवल के कई बड़े फैसले लिए.

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