हो जाए सतर्क! आपके भी दो पहिया वाहन में नहीं है शीशे? पड़ सकते है मुसीबत में, जरूर पढ़े ये खबर
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को आदेश दिया है कि...
नई दिल्लीः अगर आप दुपहिया वाहन चलाते हैं और आपने हैंडल पर लगे रियर व्यू यानी पीछे देखने वाले शीशे हटाये हुए हैं तो शीशों को वापस लगवा लें नहीं तो दिल्ली ट्रैफिक पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. इसके साथ ही कार चालकों को भी अब पिछली सीट पर बैठने वाली सवारी को सीट बेल्ट लगवाना अनिवार्य है. क्योंकि अगर पीछे की सीट पर बैठी सवारी बगैर सीट बेल्ट के पाई गई तो पुलिस चालान काटने से चुकेगी नहीं.
गौरतलब है कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की वेस्टर्न रेंज के डीसीपी प्रशांत गौतम ने अपनी रेंज के तमाम ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को आदेश दिया है कि उपरोक्त दोनों ही विषयों पर संज्ञान लिया जाए और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए.
रियर व्यू न होने की वजह से होती हैं दुर्घटनाएं
डीसीपी प्रशांत गौतम ने आदेश में कहा है कि दिल्ली की सड़कों पर चलने वाले दुपहिया (स्कूटर/मोटरसाइकिल) वाहनों में बड़ी संख्या में ऐसे वाहन शामिल हैं, जिनके हैंडल पर रियर व्यू मिरर नहीं लगा होता है. इस वजह से चालक पीछे से आ रहे वाहनों का सही अंदाज़ा नहीं लगा पाते है और बड़े वाहनों की चपेट में आ जाते हैं. इस लापरवाही की वजह से बड़ी संख्या में दुर्घटना होती हैं और जान माल का भी नुकसान होता है. इसलिए अब जिस भी दुपहिया पर रियर व्यू मिरर नहीं लगा हुआ मिलेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए चालान किया जाएगा.
अपने आदेश में डीसीपी प्रशांत गौतम ने कार चालकों पर भी कार्रवाई करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा है कि कार की पिछली सीट पर बैठने वाली सवारियों को सीट बेल्ट लगाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं. ये लोगों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन लोग इसका पालन नहीं करते हैं. लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने की जरूरत है और जो भी व्यक्ति लापरवाही करता पाया जाएगा , उसके खिलाफ चालान की कार्रवाई की जाएगी.
वेस्टर्न रेंज डीसीपी ने अपनी रेंज में 13 जनवरी से विशेष अभियान शुरू करवाया है, जिसमें बगैर रियर व्यू वाले दुपहिया चालकों और कार की पिछली सीट पर बगैर सीट बेल्ट के सवारी बैठाने वाले चालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए चालान किया जाएगा.
नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई
जो भी वाहन चालक उपरोक्त नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं, उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट 1988 और सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स 1989 के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं.