कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए और फिर राजनीति में छाए, ये 4 नेता बने मुख्यमंत्री

Update: 2022-05-15 02:42 GMT

नई दिल्ली: त्रिपुरा में सीएम बिप्लब देब ने शनिवार की शाम अचानक राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर चौंका दिया. शाम तक बीजेपी हाइकमान ने त्रिपुरा को नए मुख्यमंत्री का नाम भी बता दिया. हालांकि, बीजेपी शासित राज्यों में बड़े राजनीतिक उलटफेर का ये कोई पहला प्रयोग नहीं है. इससे पहले उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक में भी चौंकाने वाला निर्णय लिया जा चुका है. इसके साथ ही बीजेपी ने पूर्वोत्तर में एक और रिकॉर्ड बनाया है. यहां 4 राज्यों में बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. आइए जानते हैं इन नेताओं के बारे में...

हिमंता बिस्वा सरमा साल 2021 में असम के 15वें मुख्यमंत्री बने. उन्हें सर्बानंद सोनोवाल की जगह ये जिम्मेदारी दी गई. हिमंता 2015 में कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में शामिल हुए थे. 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में हिमंता बिस्वा सरमा का जोरदार प्रचार अभियान बीजेपी की जीत की अहम वजहों में से एक माना गया. हिमंता असम की जालुकबारी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं. सोनोवाल की सरकार में हिमंता बिस्वा सरमा कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. 2021 के चुनाव में उन्होंने 1 लाख 1,911 वोटों के बंपर मार्जिन से जीत दर्ज की थी. हिमंता को बीजेपी ने नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का संयोजक बनाया था. उन्होंने पूर्वोत्तर के कई राज्यों में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में बड़ा योगदान दिया.
एन. बीरेन सिंह ने मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले 2016 में कांग्रेस छोड़ी और बीजेपी में शामिल हो गए थे. राज्य में 15 साल बाद गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो बीजेपी ने एन बीरेन सिंह को सीएम बनाया. एन. बीरेन मणिपुर में बीजेपी के पहले सीएम बने थे. बीरेन ने बीजेपी और उसके सहयोगियों के 33 विधायकों के समर्थन से असेंबली का फ्लोर टेस्ट जीतकर दमखम दिखाया था. इससे पहले बीरेन सिंह, इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा दे दिया था. इसी साल 2022 के चुनाव में भी मणिपुर में बीजेपी ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. एन बीरेन ने फुटबॉल प्लेयर से करियर शुरू किया. बाद में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में शामिल हुए. उसके बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया. एन बीरेन सिंह हिंगांग सीट से पांचवीं बार चुनाव जीते हैं.
नेफियू​ रियो नगालैंड के चौथी बार मुख्‍यमंत्री बने. उनके नाम सबसे ज्यादा बार सीएम बनने का रिकॉर्ड हो गया है. रियो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं. वे 2002 में कांग्रेस से अलग हुए. उन्होंने नागालैंड की समस्‍या पर तत्‍कालीन सीएम एससी जमीर से मतभेद होने पर इस्‍तीफा दिया था. उसके बाद रियो ने नागा पीपुल्‍स फ्रंट (एनपीएफ) जॉइन किया. यह स्‍थानीय राजनीतिक दलों और भाजपा से जुड़ी थी. उनके नेतृत्‍व में डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नगालैंड (डीएएन) गठित हुआ. इस गठबंधन ने 2003 में विधानसभा चुनाव जीता. साथ ही कांग्रेस को 10 साल बाद सत्ता से बाहर किया. नेफियू रियो पहली बार नगालैंड के मुख्‍यमंत्री बने. 2008 में डीएएन गठबंधन ने सरकार बनाई और रियो सीएम बने. 2013 में नगालैंड में एनपीएफ ने बहुमत हासिल किया. रियो तीसरी बार सीएम बने. बाद में जनवरी 2018 में एनपीएफ के भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद रियो नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हुए. रियो ने 2018 में चुनाव से पहले बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. चुनाव जीतने पर बीजेपी के सहयोग से मुख्‍यमंत्री बने. नेफियू ने 1989 में राजनीतिक सफर की शुरुआत की और 2003-08, 2008-13 और 2013-14 के दौरान नागालैंड के CM रहे.
त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले भाजपा ने बिप्लब देब को हटाकर डॉ. माणिक साहा को नया सीएम बनाने का ऐलान किया है. डॉ. माणिक साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी में आते ही माणिक को चार साल बाद 2020 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी बने. हाल ही में राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किए गए और अब नए सीएम के लिए चुना गया है. मानिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ मानी जाती है. मानिक को बीजेपी में किसी खेमे का नहीं माना जाता है. 
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