इस जिले में नेताओं का दबदबा, पोस्टिंग के बाद नहीं टिक पा रहे IPS अफसर

अब तक इतने अफसरों का हुआ तबादला

Update: 2021-06-12 15:05 GMT

उत्तर प्रदेश की सियासत का प्रतापगढ़ एक अहम जिला है. प्रतापगढ़ मतलब कुंडा वाले राजा भैया, योगी सरकार में मंत्री मोती सिंह और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी. लेकिन प्रदेश की सियासत के इतने दिग्गज नेताओं वाले इस जिले में कोई कप्तान (एसपी) नहीं रहना चाहता. बीते 30 साल में अकेले प्रतापगढ़ में 67 IPS एसपी बनाकर भेजे जा चुके हैं. मौजूदा योगी सरकार के 4.5 साल के कार्यकाल में 11 IPS एसपी प्रतापगढ़ बनाए गए. प्रतापगढ़ का आईपीएस अफसरों की पोस्टिंग के मामले में हमेशा ही खराब रिकॉर्ड रहा है. उत्तर प्रदेश अगर किसी जिले में सबसे ज्यादा बार एसपी हटाए गए तो वह जिला प्रतापगढ़ है. कभी किसी आईपीएस ने पोस्टिंग होने के बाद ज्वाइन नहीं किया तो कोई 5 दिन बाद ही बदल दिया गया तो किसी ने ढाई महीने बाद ही जिला छोड़ दिया. मौजूदा वक्त में भी प्रतापगढ़ का यही हाल है मौजूदा कप्तान आकाश तोमर 9 दिन से छुट्टी पर चले गए हैं और उनकी छुट्टी 14 जून तक बढ़ गई है.

डीजीपी मुख्यालय में मंथन चल रहा है कि प्रतापगढ़ में किसको कप्तान बना कर भेजा जाए. हालांकि, प्रतापगढ़ के लिए यह कोई नई बात नहीं है. वर्तमान की योगी सरकार में ही 10 आईपीएस बदले जा चुके हैं. 9 महीने में चार एसपी बदले गए हैं. जुलाई 2019 को एसएसपी एसटीएफ रहे अभिषेक सिंह को प्रतापगढ़ में बढ़ते अपराध को नियंत्रित करने के लिए एसटीएफ के सुपर कॉप रहे आनंद को हटाकर भेजा गया. 16 अगस्त 2020 को बागपत एसपी रहे संजीव त्यागी को एसपी प्रतापगढ़ बनाया गया लेकिन संजीव त्यागी ने ज्वॉइन नहीं किया.

2 दिन बाद, 18 अगस्त 2020 को आईपीएस अनुराग आर्य को भेजा गया लेकिन अनुराग आर्य 4 महीने तक ही रह पाए. शिव हरी मीणा 5 जनवरी 2021 को आए लेकिन बस ढाई महीने ही रहे. इसके बाद 21 मार्च 2021 को सचिंद्र पटेल आए, लेकिन वो 5 दिन बाद ही हटा दिए गए. सचिंद्र पटेल की जगह इटावा में एसएसपी रहे आकाश तोमर को 26 मार्च 2021 को एसपी प्रतापगढ़ बनाया गया. आकाश तोमर बीते 9 दिनों से छुट्टी पर हैं और उन्होंने अपनी छुट्टी बढ़ाकर 14 जून तक करवा ली है. वर्तमान में जिले की कमान धवल जायसवाल के पास है.

प्रतापगढ़ रेंज के आईजी रहे रिटायर्ड आईपीएस आरके चतुर्वेदी कहते हैं कि प्रतापगढ़ एक ऐसा जिला है जहां पर प्रदेश की सरकार के साथ-साथ वहां के क्षत्रप नेताओं की भी सरकारें चलती हैं. प्रतापगढ़ जिले में राजा भैया का अपना इलाका कुंडा है, प्रमोद तिवारी का अपना रामपुर वाला इलाका है और मौजूदा सरकार के मंत्री मोती सिंह का अपना एक क्षेत्र है. ऐसे में राजनीतिक हस्तक्षेप पुलिसिंग में सबसे बड़ा बाधक बन जाता है. अवैध शराब के सबसे बड़े कारोबार पर जब भी पुलिस नकेल कसती है तो उसको गाहे-बगाहे बैकफुट पर आना पड़ता है. जो बड़े अपराधी हैं, जो बड़े अवैध शराब के कारोबारी हैं, वह कहीं ना कहीं बचने के लिए बड़े राजनेताओं को पकड़ लेते हैं. जब पुलिस कार्रवाई करती है तो राजनीतिक हस्तक्षेप आड़े आता है. यह किसी भी नए आईपीएस के कामकाज पर असर डालता है और मनोबल को तोड़ता है, जिसके चलते या तो आईपीएस सही परफॉर्म नहीं कर पाता या फिर खुद ही कप्तानी छोड़ देते हैं.


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