लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता, चोर ने खोल दी पोल, पुलिस तक हैरान

लखनऊ: लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के लिये लग्जरी गाड़ियां चोरी करने वाले सत्येन्द्र सिंह को भजनलाल शरण दिलाता था। विश्नोई का बेहद करीबी भजनलाल ही बताता था कि उसे कौन सी गाड़ी चाहिये, फिर सत्येन्द्र वही गाड़ी चोरी कर लेता था। कई दूसरे गिरोह के लिये भी सत्येन्द्र ने गाड़ियां चोरी की है। भजनलाल यह भी …

Update: 2024-02-01 01:48 GMT

लखनऊ: लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के लिये लग्जरी गाड़ियां चोरी करने वाले सत्येन्द्र सिंह को भजनलाल शरण दिलाता था। विश्नोई का बेहद करीबी भजनलाल ही बताता था कि उसे कौन सी गाड़ी चाहिये, फिर सत्येन्द्र वही गाड़ी चोरी कर लेता था। कई दूसरे गिरोह के लिये भी सत्येन्द्र ने गाड़ियां चोरी की है। भजनलाल यह भी बताया था कि किस राज्य में उसे गाड़ी चाहिये तो सत्येन्द्र उसी प्रदेश में जाकर लग्जरी गाड़ी चोरी कर लेता था। सत्येन्द्र के पास हर प्रदेश के बड़े वर्कशाप की पूरी सूची फोन नम्बर सहित है। यह खुलासा सत्येन्द्र ने ही पूछताछ में पुलिस अफसरों के सामने किया है। पुलिस अफसरों ने भजनलाल की तलाश के लिये दो टीमें बनायी है जो तलाश में दबिश दे रही हैं।

सत्येन्द्र सिंह शेखावत वर्कशाप से मुखबिरी शुरू करता था और वहां से लग्जरी गाड़ियां बाहर निकलते ही वह जीपीएस से लोकेशन पता कर वहां पहुंच जाता था। सत्येन्द्र की तलाश में पुलिस की टीमें तीन बार जयपुर गई थी लेकिन वह उस तक पहुंच नहीं सकी थी। तीसरी बार जब एडीसीपी पूर्वी की टीम जयपुर पहुंची तो सत्येन्द्र का पता चल गया था। वह जयपुर के करजनी का रहने वाला है। सत्येन्द्र को पुलिस पकड़ कर लखनऊ ले आयी थी।

सत्येन्द्र ने खुलासा किया था कि लारेंस विश्नोई गिरोह का बेहद करीबी भजनलाल ही उसके सम्पर्क में रहता था। वही बताता था कि उसे कौन सी गाड़ी और कब तक चाहिये। इसके बाद ही सत्येन्द्र तय करता था कि वह गाड़ी कहां से चोरी करेगा। सत्येन्द्र ने बताया कि विश्नोई गिरोह को बेची गई गाड़ियां किस अपराध में इस्तेमाल हुई, इस बारे में सत्येन्द्र ने कहा था कि भजनलाल को इस बारे में पता है। इसी आधार पर पुलिस ने भजनलाल और उसके एक रिश्तेदार को आरोपित बना लिया था। सत्येन्द्र से भजनलाल एक दर्जन से अधिक गाड़ियां ले चुका है।

सत्येन्द्र ने गोमतीनगर पुलिस को बताया कि वह वर्कशाप में अकेले ही घुसता था। अधितर वह शनिवार या रविवार को ही जाता था। इस दिन भीड़ ज्यादा रहती है। इससे किसी का ध्यान उस पर आसानी से नहीं जाता था। वह अंदर जाकर चोरी करने वाली गाड़ी पर जीपीएस लगा देता था। फिर इंजन-चेसिस नम्बर नोट कर बाहर निकल जाता था। इन नम्बरों से वह डुप्लीकेट चाभी आसानी से बना लेता था। फिर दो-तीन दिन बाद गाड़ी की लोकेशन पता कर वहां पहुंच कर गाड़ी चोरी कर लेता था।

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