भारत का आखिरी गांव कौन सा है? इसका जवाब बहुत से लोगों को नहीं पता होगा. तो इसका जवाब है माणा गांव. ये वही गांव है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जाने वाले हैं. इस गांव को आधिकारिक रूप से 'भारत का आखिरी गांव' का दर्जा हासिल है.
ये गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है. चीन की सीमा इस गांव से 24 किलोमीटर की दूरी पर है. माणा गांव चार धाम में से एक बद्रीनाथ से मुश्किल से 3 किलोमीटर दूर है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3,219 मीटर है. इस गांव में ज्यादातर भोतिया (मंगोल आदिवासी) समुदाय के लोग रहते हैं. माणा गांव सरस्वती नदी के तट पर है. ये हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. यहां का वातावरण बहुत साफ-सुथरा है. 2019 के स्वच्छ भारत सर्वे में माणा गांव को 'सबसे साफ गांव' का दर्जा मिला था.
माणा गांव न सिर्फ देश का आखिरी गांव है, बल्कि यही वो गांव है जहां से पांडवों ने स्वर्ग का रास्ता तय किया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडव जब स्वर्ग जा रहे थे, तो इसी गांव से निकले थे. पांडव जब स्वर्ग जा रहे थे, तब द्रौपदी भी उनके साथ थीं. पांडव सशरीर स्वर्ग जाना चाहते थे. पांडवों के साथ एक कुत्ता भी इस यात्रा में था.
हालांकि, रास्ते में ही एक-एक करके सब गिरने लगे. सबसे पहले द्रौपदी गिरीं और उनकी मौत हो गई. फिर सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीम भी गिर पड़े. सिर्फ युधिष्ठिर ही आखिरी तक बचे. वो ही सशरीर स्वर्ग पहुंच सके. युधिष्ठिर के साथ जो कुत्ता था, वो यमराज थे. इस गांव में 'भीम पुल' भी बना है. माना जाता है कि इस पुल को भीम ने बनाया था. ये पुल एक बड़ा सा पत्थर है, जो सरस्वती नदी के ऊपर है. भीम पुल माणा गांव के अहम पर्यटन स्थलों में से एक है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडव माणा गांव से स्वर्ग जा रहे थे, तब द्रौपदी को सरस्वती नदी पार करने में मुश्किल हो रही थी. तो ऐसे में भीम ने एक बड़ा सा पत्थर उठाकर यहां रख दिया. ये पूरा एक ही बड़ा सा पत्थर है. इस पत्थर को इस तरह से रखा गया है कि ये पुल बन गया. इसके बाद द्रौपदी ने पुल के जरिए नदी को पार कर लिया. एक किवंदती ये भी है कि भीम पुल वही जगह है जहां वेदव्यास ने भगवान गणेश को महाभारत लिखवाई थी.