बिहार की राजनीति में फिर सक्रिय होंगे लालू यादव, आरजेडी ने जताया भरोसा

Update: 2021-06-04 14:29 GMT

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने के बाद पार्टी कार्यकर्ता तो जोश में है ही, कई नेता भी मानने लगे हैं कि बिहार की राजनीति में फिर लालू सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार की सियासत में कोई करवट आने वाली है? क्या लालू का जेल से बाहर आना नीतीश सरकार के लिए खतरे की घंटी है? अब जेडीयू और बीजेपी जरूर लालू को बिहार का इतिहास बता रहे हैं, लेकिन आरजेडी लगातार अपने नेता के हक में आवाज बुलंद कर रही है.

बिहार की राजनीति में लालू की होगी वापसी?

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि लालू यादव के बाहर आने के बाद बिहार की राजनीति की दिशा और दशा दोनों बदलेगी, ये तय है. सरकार में शामिल पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित और महादलित विधायकों की नहीं सुनी जा रही है. उन्हें मान-सम्मान नहीं मिल रहा, वो गोलबंद हो रहे हैं. उनके मन में लालू यादव के प्रति सम्मान का भाव है क्योंकि उन्होंने वंचितों-शोषितों के हक की लड़ाई लड़ी है. राजद के दावों पर जदयू ने जबरदस्त पलटवार किया है. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि लालू यादव बिहार की राजनीति में इतिहास हो चुके हैं. अपने कृत्यों की वजह से वो सजायाफ्ता हैं और फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से बाहर हैं. लेकिन वो सक्रिय राजनीति में भाग नहीं ले सकते. इसलिए उनके अंदर या बाहर रहने से बिहार की राजनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

इन्होंने शोषितों-वंचितों, दलितों या खास समाज और समुदाय का ठेकेदार होने की बात तो जरूर की है लेकिन काम सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए किया है. ये 'अपना काम बनता, भांड़ में जाये जनता' की पॉलिसी पर काम करते हैं.

बीजेपी ने लालू पर क्या बोला?

सरकार में साझेदार बीजेपी ने भी लालू यादव पर तंज कसा है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि RJD सामाजिक न्याय की राजनीति का नेतृत्व नहीं करती, ये सिर्फ परिवारवाद की राजनीति कर रहे हैं. 15 साल में इन्होंने सामाजिक न्याय का क्या बंटाधार किया, ये सबको पता है. NDA की सरकार में अति पिछड़ों और महिलाओं को आरक्षण दिया गया. RJD सिर्फ सामाजिक न्याय का आडम्बर रचकर सिर्फ परिवार की विरासत खड़ी रखना चाहते हैं. ये दलित-पिछडों को सिर्फ वोट के लिए गोलबंद करके मोहरा बनाकर रखना चाहते हैं.

Tags:    

Similar News

-->