लालू, नीतीश एक दूसरे के पूरक, तेजस्वी की अलग से कोई पहचान नही: प्रशांत किशोर
मोतिहारी (आईएएनएस)| बिहार में अपनी राजनीतिक पहचान बनाने में जुटे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों जनसुराज यात्रा पर हैं। प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज पदयात्रा के 54वें दिन गुरुवार को कहा कि पिछले 30 सालों से हम छोटे भाई (नीतीश कुमार) और बड़े भाई (लालू यादव) की सरकार देखते रहे हैं। दोनों भाई एक दूसरे के पूरक हैं, इसके साथ ही दोनों ने यह धारणा बना दी है कि बिहार इससे बेहतर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि लालू यादव के पुत्र होने के अलावा तेजस्वी यादव की कोई पहचान नहीं है। गुरुवार को पूर्वी चंपारण जिले के गायघाट पंचायत से यात्रा की शुरूआत करते हुए पत्रकारों से चर्चा में प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि चाचा-भतीजा (नीतीश-तेजस्वी) में भतीजे की व्यक्तिगत पहचान केवल इतनी है की वे लालू यादव के बेटे हैं।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने शिक्षा, खेलकूद या अन्य कोई सामाजिक कार्य या किसी भी क्षेत्र में ऐसा कोई काम नहीं किया जिसका संज्ञान लिया जाए। उन्होंने कहा कि जिस जंगलराज को खत्म करने के नाम पर नीतीश कुमार यहां काम कर रहे हैं उसी को फिर पीछे के दरवाजे से घुसाने की कोशिश कर रहे हैं।
जन सुराज पदयात्रा की रूपरेखा पर विस्तार से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज के दूसरे चरण के तहत अगर लोगों की सहमति हुई तो मिलकर दल बनाएंगे। लेकिन हमने हमेशा स्पष्ट किया है कि अगर दल बनाएंगे भी तो दल किसी एक व्यक्ति, परिवार, किसी जाति विशेष का न होकर बल्कि सभी लोगों का होगा।
किशोर ने जन सुराज पदयात्रा के विचार को साझा करते हुए कहा कि प्रत्येक प्रखंड में 'जन सुराज नागरिक सहायता केंद्र' की शुरूआत की जाएगी।
उन्होंने बताया कि पूर्वी चंपारण में भी जन सुराज पदयात्रा अलग-अलग प्रखंडों और पंचायतों से गुजरते हुए लगभग एक महीने चलेगी। प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि अगर राजनीतिक परिस्थितियां बदली तो नीतीश कुमार को बदलने में देर नहीं लगेगी।
साल 2015 में नीतीश कुमार ने सदन में कहा था कि मैं मिट्टी में मिल जाऊंगा, लेकिन भाजपा में नहीं जाऊंगा और 2 साल बाद वे बिना किसी वजह से भाजपा में चले गए। प्रशांत ने कहा कि नीतीश कुमार की बस एक ही प्राथमिकता है कि वो मुख्यमंत्री बने रहें, बाकी राज्य में जो चलता है वह चलता रहे, अफसरशाही चलती रहे।