लखीमपुर खीरी हिंसा: क्या केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का लिया जाएगा इस्तीफा? सामने आई बड़ी जानकारी

Update: 2021-12-15 12:17 GMT

Lakhimpur Kheri Violence Case: लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra) के इस्तीफे की मांग उठ रही है. इस बीच सरकार के सूत्रों ने बताया है कि अजय मिश्रा को पद से नहीं हटाया जाएगा. सूत्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच कर रही है. ऐसे में अजय मिश्रा जांच को प्रभावित नहीं कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें हटाने की कोई वजह नहीं है. साथ ही सूत्र ने कहा कि अजय मिश्रा यूपी के गृहमंत्री नहीं हैं, जो वो जांच को प्रभावित कर पाएं. आरोप अजय मिश्रा के बेटे पर लगे हैं, दोषी नहीं हुए हैं. इसलिए भी उन्हें हटाने की जरूरत नहीं है.

आज संसद में अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग को लेकर जमकर हंगामा हुआ और इसी वजह से सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. लखीमपुर खीरी मामले में एसआईटी ने मंगलवार को एक अदालत में दिए आवेदन में कहा था कि चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या की घटना एक ''सोची-समझी साजिश'' थी. इसके साथ ही एसआईटी ने मामले में अधिक गंभीर आरोपों को शामिल किए जाने का अनुरोध किया था. अदालत ने एसआईटी को मुकदमे में हत्या के प्रयास की धारा जोड़ने की मंगलवार को इजाजत दे दी थी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा मोनू समेत उसके 13 साथियों पर लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहे किसानों को जीप से कुचलने का आरोप है. इस घटना में और इसके बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
एसआईटी की रिपोर्ट के बाद आज सुबह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में कार्य स्थगन का नोटिस दिया था. राहुल गांधी ने सदन के बाहर कहा कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ेगा और जेल भी जाना होगा. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री किसानों से माफी मांगते हैं और दूसरी तरफ वह एक ऐसे व्यक्ति को मंत्री बनाए हुए हैं जिसने 'किसानों को मारा है.'
सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राहुल गांधी ने दावा किया, ''किसानों की हत्या की गई. कहा जा रहा है कि इसमें मंत्री में शामिल हैं. वह प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में हैं. प्रधानमंत्री एक तरफ किसानों से माफी मांगते हैं और दूसरी तरफ जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा तक नहीं देते. उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को अपनी मंत्रिपरिषद में रखा है जो हत्यारा है, जिसने (किसानों को) मारा है.''
उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाना चाहते थे, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई. राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, ''हमने किसानों के परिवार से वादा किया था कि दबाव डालकर न्याय दिलवाएंगे. हमने कृषि कानूनों को लेकर कहा कि इनको वापस लेना पड़ेगा, आपने देखा कि इनको वापस लिया गया है. इसी तरह मंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ेगा और जेल जाना होगा. हम नहीं छोड़ेंगे. पांच साल, 10 साल या 15 साल लग जाएं, मंत्री को जेल जाना होगा.''
उन्होंने आरोप लगाया, ''सरकार हमें बोलने की अनुमति नहीं दे रही है, इस कारण सदन में व्यवधान पैदा हुआ है. हमने कहा है कि रिपोर्ट आई है और उनके मंत्री इसमें शामिल हैं, ऐसे में इस पर चर्चा होनी चाहिए. लेकिन वह चर्चा नहीं होने देना चाहते हैं.''

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