लखीमपुर खीरी मामला: यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत का किया विरोध

Update: 2023-01-19 10:16 GMT
लखनऊ (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे की जमानत याचिका का विरोध किया, जो लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपियों में से एक हैं। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी ने कहा कि अपराध गंभीर है। जमानत याचिका का विरोध करने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, यह एक गंभीर और जघन्य अपराध है और (जमानत देने से) समाज में गलत संदेश जाएगा।
पीठ ने पूछा, हम प्रथम²ष्टया यह मान रहे हैं कि वह शामिल है और वह एक आरोपी है, निर्दोष नहीं है। क्या उसने सबूत नष्ट करने का प्रयास किया है?
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जवाब दिया, अब तक ऐसा नहीं हुआ है।
जमानत याचिका का विरोध करने वालों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि जमानत देने से समाज में भयानक संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा, यह एक साजिश और एक सुनियोजित हत्या है। मैं इसे चार्जशीट से दिखाऊंगा। वह एक शक्तिशाली व्यक्ति का बेटा है, जिसका प्रतिनिधित्व एक शक्तिशाली वकील कर रहा है।
अभियुक्त आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दवे की दलील का कड़ा विरोध किया और कहा, यह क्या है? कौन शक्तिशाली है? हम हर दिन पेश हो रहे हैं। क्या यह जमानत नहीं देने की शर्त हो सकती है?
रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल एक साल से अधिक समय से हिरासत में है और जिस तरह से सुनवाई चल रही है, उसे पूरा होने में सात से आठ साल लगेंगे।
उन्होंने कहा कि जगजीत सिंह, जो इस मामले में शिकायतकर्ता हैं, एक चश्मदीद गवाह नहीं हैं और उनकी शिकायत सिर्फ अफवाह पर आधारित है।
एक ऐसे व्यक्ति के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई जो चश्मदीद गवाह नहीं है? रोहतगी ने कहा कि उनका मुवक्किल अपराधी नहीं है और उसका कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है।
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में उस समय भड़की हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके में दौरे का विरोध कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा बैठा था।
इस घटना के बाद गुस्साए किसानों ने कथित तौर पर एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकतार्ओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई।
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