कृष्णा नदी पानी बंटवारा विवाद: आंध्र प्रदेश की याचिका से CJI ने खुद को किया अलग
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने बुधवार को अपने आप को आंध्र प्रदेश की उस याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया जिसमें आरोप लगाया गया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने बुधवार को अपने आप को आंध्र प्रदेश की उस याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया जिसमें आरोप लगाया गया, कि तेलंगाना ने उसे कृष्णा नदी से पीने और सिंचाई के पानी के उसके वैध हिस्से से वंचित कर दिया है. पीठ ने आंध्र प्रदेश की ओर से पेश हुए वकील की उन दलीलों पर गौर किया कि राज्य मध्यस्थता का विकल्प चुनने के बजाय सुप्रीम कोर्ट की पीठ द्वारा इस मामले पर फैसला चाहता है. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे.
इसपर सीजेआई ने आदेश दिया, 'फिर इस मामले को किसी और पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करिए.' केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ आंध्र प्रदेश की याचिका पर सुनवाई करती है तो केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है. इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को अपने विवादों को हल करने के लिए 'मध्यस्थता' का सुझाव देते हुए कहा था कि वह 'अनावश्यक' रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहता.
आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले सीजेआई ने दो अगस्त को कहा था, 'मैं कानूनी रूप से इस मामले पर सुनवाई नहीं करना चाहता. मेरा संबंध दोनों राज्यों से है. अगर यह मामला मध्यस्थता से हल होता है तो कृपया ऐसा करिए. हम उसमें मदद कर सकते हैं. वरना मैं इसे दूसरी पीठ के पास भेज दूंगा.'
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच फिर से ताजा हुआ जल विवाद
कृष्णा नदी पर सिंचाई परियोजनाओं और जल विद्युत परियोजना के कथित रूप से अवैध निर्माण को लेकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. अभी कुछ दिन पहले ही दोनों राज्यों ने कृष्णा नदी पर बने पावर स्टेशन के पास सैकड़ों पुलिसबल को तैनात कर दिया था. तेलंगाना सरकार ने अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए पुलिचिंतला, श्रीसैलम, जुराला, नागार्जुनसागर परियोजनाओं के पास विशेष सुरक्षा बल की तैनाती की थी. इसके बाद आंध्र प्रदेश ने भी पुलिचिंतला डैम के पास अपने क्षेत्र में पुलिसबल की तैनाती कर दी.