टीआरएस के चार विधायकों को लालच देने की कोशिश के आरोपों को किशन रेड्डी ने किया खारिज

Update: 2022-10-27 11:51 GMT

फाइल फोटो

हैदराबाद (आईएएनएस)| केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने भाजपा को बदनाम करने की साजिश रची। उन्होंने टीआरएस के चार विधायकों को बड़ी रकम, महत्वपूर्ण पद का लालच देकर भाजपा में आने के लालच देने के टीआरएस के आरोपों को खारिज कर दिया। रेड्डी ने कहा कि बीजेपी को चार विधायकों को पार्टी में शामिल करने से कुछ हासिल नहीं होता।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने मामले के आरोपियों के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया।
साइबराबाद पुलिस ने बुधवार को हैदराबाद के पास मोइनाबाद में एक फार्महाउस से तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जब वे कथित तौर पर टीआरएस के चार विधायकों को भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश कर रहे थे।
विधायक पायलट रोहित रेड्डी की शिकायत पर पुलिस ने दिल्ली के रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, हैदराबाद के नंदा कुमार और तिरुपति के सिम्हायाजी स्वामी के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
टीआरएस नेताओं ने आरोप लगाया है कि नंदा कुमार किशन रेड्डी का करीबी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पुलिस को ब्योरा देना चाहिए कि यह पैसा टीआरएस विधायकों का है या यह मुख्यमंत्री केसीआर के फार्महाउस से आया है।
उन्होंने कहा कि अगर केसीआर ईमानदार हैं, तो उन्हें मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश देना चाहिए।
टीआरएस पर पलटवार करते हुए रेड्डी ने कहा कि टीआरएस ही दलबदल को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने सवाल किया, 'क्या टीआरएस ने कई विधायकों और सांसदों को अपनी पार्टी में शामिल होने का लालच नहीं दिया। पार्टी ने कांग्रेस के 12 विधायकों को कितना भुगतान किया, जो पहले टीआरएस में शामिल हुए थे।'
उन्होंने आरोप लगाया कि मुनुगोड़े उपचुनाव हारने के डर से टीआरएस नाटक कर रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को जनता का समर्थन प्राप्त है और टीआरएस तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में जीत नहीं पाएगी, भले ही वह हजारों करोड़ खर्च कर दे।
उन्होंने आरोप लगाया कि टीआरएस नेता केटीआर ने मुनुगोड़े के एक भाजपा नेता को फोन कर उन्हें टीआरएस में शामिल होने का लालच दिया।
किशन रेड्डी ने कहा कि टीआरएस ने दुब्बाक उपचुनाव में भी यही रणनीति अपनाई, लेकिन भाजपा जीती।
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