केरल हाईकोर्ट ने covid 19 गाइडलाइंस को बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए किया निर्धारित

हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं हैं. दरअसल, युवक ने वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया था और उसने कोविड गाइडलाइंस को दी थी.

Update: 2021-09-01 17:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि राज्य ने कोरोना वैक्सीन की एक खुराक या फिर आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट 72 घंटे से अधिक पुराना नहीं होनी चाहिए जैसे नियम बनाए हैं. यह नियम दुकानों में प्रवेश करने या लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए काम पर जाने के लिए हैं. हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं हैं. दरअसल, युवक ने वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया था और उसने कोविड गाइडलाइंस को दी थी.

न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा कि राज्य ने इन गाइडलाइंस को "बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए" निर्धारित किया है क्योंकि ऐसा करना उसका दायित्व है. अदालत केटीडीसी के एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने वैक्सीन लगवाने से से इनकार कर दिया था और साथ ही वह हर 72 घंटे बाद आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने के पक्ष में नहीं था.
उसने तर्क दिया है कि उसे टीकाकरण से इनकार करने का अधिकार है और टीका नहीं लेने से उनके आजीविका के अधिकार को प्रभावित नहीं होना चाहिए. युवक ने कोविड गाइडलाइंस को अलग करने या हर 72 घंटे में आरटी-पीसीआर परीक्षण किए बिना काम पर आने की अनुमति देने की मांग की थी. इससे पहले, 11 अगस्त को एक 25 वर्षीय व्यवसायी द्वारा अदालत के समक्ष इसी तरह की याचिका दायर की गई थी, जिसने तर्क दिया था कि काम के सिलसिले में अपने घर से बाहर निकलने के लिए उसे टीके की कम से कम एक खुराक या नकारात्मक आरटी-पीसीआर रिपोर्ट 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट मामले पर गुरुवार को करेगा सुनवाई
याचिकाकर्ता अखिल वर्गीस ने तर्क दिया कि वह अपनी सुविधानुसार टीका लगवाएगा. उस मामले में अदालत ने 12 अगस्त को राज्य को नोटिस जारी करते हुए उसका पक्ष जानने चाहा था. नई याचिका मामले में केटीडीसी कर्मचारी के वकील अजीत जॉय ने बुधवार को अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को काम पर रिपोर्ट करने के लिए अब तक चार आरटी-पीसीआर परीक्षण करवाने पड़े हैं. जॉय ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि पूरी तरह से टीका लगाया गया व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है और संक्रमण फैला सकता है इसलिए किसी ऐसे व्यक्ति के बीच कोई अंतर नहीं है जिसे दो डोज लग चुके हैं और जिसने एक भी डोज नहीं लिया है.
उसने यह भी कहा कि उसका मुवक्किल बाहर जाते समय सभी सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन कर रहा था और COVID-19 लॉकडाउन निर्देशों का भी पालन कर रहा था. राज्य सरकार के वकील द्वारा बहस के लिए समय मांगने के बाद अदालत ने मामले को गुरुवार दोपहर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.


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