कर्नाटक: कांग्रेस ने कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए 100 करोड़ की योजना तैयार की, इस फंड से लेंगे पैसे

उसने निर्माताओं से सीधे टीके खरीदने की 100 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है।

Update: 2021-05-14 09:36 GMT

कर्नाटक में कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि उसने निर्माताओं से सीधे टीके खरीदने की 100 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है। पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि 10 करोड़ रुपए कांग्रेस से आएंगे और शेष 90 करोड़ उनके एमएलए/एमएलसी फंड से आ सकते हैं। शिवकुमार ने एक बयान में कहा, "मैं येदियुरप्पा सरकार से अपील करता हूं कि कृपया हमें पारदर्शी तरीके से सीधे टीके खरीदने के लिए विधायक/एमएलसी फंड का उपयोग करने की अनुमति दें क्योंकि मोदी और येदियुरप्पा सरकारें महीनों से ऐसा करने में विफल हो रही हैं।"  उन्होंने कहा, "केंद्र और राज्य सरकारें सामूहिक रूप से जनता का टीकाकरण करने में विफल रही हैं, हम इसे स्वयं करना चाहते हैं। हमें बस दो छोटी अनुमति चाहिए। एक केंद्र से और दूसरी राज्य सरकार से। भाजपा से मेरी अपील है कि राजनीति को आड़े नहीं आने दें और आत्मनिर्भर भारत की भावना से कांग्रेस को सीधे टीके खरीदने और उसे लोगों के लगाने की अनुमति दें।"

हालांकि, इस बारे में बहुत कम स्पष्टता है कि पार्टी टीकों की खरीद का प्रस्ताव कैसे रखती है क्योंकि वर्तमान में पूरा देश वैक्सीन की कमी का सामना कर रहा है।कांग्रेस अध्यक्ष ते इस बयान पर सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आपको बता दें कि टीकों की कमी के बीच कर्नाटक ने 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण को फिलहाल निलंबित कर दिया है।
कांग्रेस के सांसद, विधायक टीके खरीदने के लिए एलएडी कोष का इस्तेमाल करेंगे: सिद्धरमैया
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसके सांसद, विधायक और पार्षद कोविड-19 रोधी टीके खरीदने के लिए अपने 'स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से 100 करोड़ रुपये देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा, ''सरकार लोगों की रक्षा करने और उन्हें टीके लगवाने में बुरी तरह असफल रही है। इसलिए, राज्य के कांग्रेस के सांसद, विधायक और पार्षद, जो कुल 95 हैं, उन्होंने टीके खरीदने के लिए एक-एक करोड़ रुपये दान देने का फैसला किया है।''
कांग्रेस विधायक दल के नेता के अनुसार, कर्नाटक में कांग्रेस के नेता इसके लिए कुल 100 करोड़ रुपये देंगे। कर्नाटक में प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय में उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''कर्नाटक के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व निर्णय है।''
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