कंझावला केस: रोहिणी कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर जताई नाराजगी, दीपक खन्ना की जमानत अर्ज़ी खारिज
दिल्ली। दिल्ली के कंझावला मामले में आरोपी दीपक खन्ना की जमानत अर्ज़ी को खारिज करते हुए दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताई है. दरअसल, शुक्रवार को जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए रोहिणी कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. शनिवार को कोर्ट का लिखित आदेश आया है, जिस में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की जांच को लेकर फटकार लगाई है. साथ ही मामले की अर्जी कोर्ट में दाखिल करने से पहले उसकी निगरानी करने के लिए कहा है.
दरअसल, रोहिणी कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में कहा है कि दीपक खन्ना पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं. जांच एजेंसी (पुलिस) का रवैया असंवेदनशील नहीं होना चाहिए. मामले में दिल्ली पुलिस का जवाब अस्पष्ट है. दिल्ली पुलिस के जवाब ने न्यायालय की न्यायिक चेतना को झकझोर दिया है. आगे से मामले में कोई भी जवाब या अर्ज़ी दाखिल की जाती है तो DCP उसकी व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे.
बता दें कि अंजलि हत्याकांड में गिरफ्तार होने के बाद दीपक ने पुलिस को बताया था कि घटना के वक्त वह गाड़ी चला रहा था. हालांकि पुलिस जांच में बाद में खुलासा हुआ था कि गाड़ी दीपक नहीं बल्कि अमित चल रहा था. लेकिन अमित के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, जिसके चलते दीपक ने पुलिस को गुमराह करने के लिए खुद को आगे किया था. उन्होंने बताया था कि कार में पांच लोग थे, लेकिन जांच में खुलासा हुआ था कि घटना के समय कार में 4 ही लोग मौजूद थे. दीपक को घटना के बाद कार में बैठाया गया था. इस मामले में पुलिस ने दीपक खन्ना, अमित खन्ना, कृष्ण, मिथुन और मनोज मित्तल मुख्य आरोपी बनाया है.
कोर्ट ने दो आरोपी आशुतोष भारद्वाज और अंकुश को पहले ही जमानत दे दी थी. ये दोनों घटना के बाद केस से जुड़े थे. इन्होंने ही दीपक से कहा था कि वह पुलिस को बताए कि घटना के वक्त गाड़ी वह चला रहा था, ना कि अमित, क्योंकि दीपक के पास ड्राइविंग लाइसेंस था. आशुतोष की गाड़ी से ही हादसा हुआ था. दिल्ली पुलिस ने आशुतोष की जमानत याचिका का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी.
बता दें कि सुल्तानपुरी में नए साल की रात कार सवार युवकों ने स्कूटी सवार अंजलि को टक्कर मार दी थी, उसके बाद अंजलि को कार से करीब 12 किमी तक घसीटा था. इस घटना में अंजलि की मौत हो गई थी. मामले में 1 जनवरी को आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 279, 304ए, 304, 120बी/34) के खिलाफ केस दर्ज किया था. इस केस में भौतिक, मौखिक, फोरेंसिक एवं अन्य वैज्ञानिक साक्ष्यों को एकत्रित किया गया. उसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 की जगह पर धारा 302 जोड़ी गई. मामले में आगे की जांच जारी है.