ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आंकड़ों से किया पलटवार, दुनिया के मुल्कों में सिर्फ 5% महिला पायलट, पर भारत में 15%
नई दिल्ली: संसद में मंगलवार और बुधवार को सत्ता दल और विपक्ष के बीच अलग तरह का विरोध देखने को मिला. हालांकि इस विरोध और सवाल का नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आंकड़ों से जवाब दिया है. उन्होंने बताया कि, 'भारत में महिला पायलट की संख्या कुल स्टाफ का 15 प्रतिशत से अधिक है, जबकि दुनिया के अन्य देशों में महिला पायलट की संख्या केवल 5 प्रतिशत तक ही सीमित है. दरअसल तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के नागरिक उड्डयन मंत्रालय की आवश्यकता पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि अब जबकि एयर इंडिया सरकार के पास नहीं है ऐसे में इस मंत्रालय का काम क्या है. बुधवार को नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विस्तार से इस पर जवाब दिया.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को कहा था कि, 'भारत और बांग्लादेश के अलावा दुनिया के किसी भी देश में नागरिक उड्डयन के लिए अलग और स्वतंत्र मंत्रालय नहीं है'. मोइत्रा ने कहा कि, 'एयर इंडिया ने 2014 से नागरिक उड्डयन मंत्रालय के बजट का 60 से 95 प्रतिशत हिस्सा बनाया है. अब मंत्रालय के साथ इसके न होने पर इसकी जरूरत क्या है'. उन्होंने मांग रखी कि इस मंत्रालय का 1,240 करोड़ रुपये के बजट के साथ परिवहन के लिए समग्र मंत्रालय बनाने के लिए विलय कर दिया जाए.
मोइत्रा के सवालों पर अगले दिन सिंधिया ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि, 'अनिश्चितता से घबराएं नहीं'. इसके बाद सिंधिया ने संसद के सामने एक-एक कर अपने मंत्रालय की प्रगति बताई. उन्होंने कहा कि, 'नागरिक उड्डयन भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख तत्व बन गया है. पहले केवल बड़े शहरों में हवाई अड्डे थे, लेकिन आज यह पूरी तरह से बदल गया है. उड़ान योजना के तहत छोटे-छोटे शहरों में एयरपोर्ट शुरू हो चुके हैं. कई और शहरों में अभी काम होना है. पिछले 20-25 वर्षों में इस सेक्टर में काफी बड़े बदलाव हुए हैं.'
ज्योतिरादित्य ने मंत्रालय की उपलब्धि बताने के साथ ही एयर इंडिया के घाटे और उसकी दुर्दशा के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को ज़िम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि, 'यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में कुछ ऐसे फ़ैसले लिए गए जिसका असर एयर इंडिया के लगातर घाटे में डूबने के रूप में सामने आया. उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि, 2005 - 06 में जब एयर इंडिया महज 14 करोड़ रुपये के मुनाफ़े में थी तब सरकार ने 111 नए एयरक्राफ्ट ख़रीदने का फ़ैसला क्यों किया? एय़रक्राफ्ट डील के बाद से लगातार एयर इंडिया घाटे में चली गई'. उन्होंने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के मर्जर को भी एयर इंडिया की बदहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया. सिंधिया ने कहा कि, 'जो एयर इंडिया 2005-06 में 14-15 करोड़ के मुनाफे में थी उसे अगले 14 वर्षों में 85 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ गया'.
सिंधिया ने एयर इंडिया से पुराने स्टाफ को निकाले जाने के सवाल पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि, 'टाटा के साथ एयर इंडिया को लेकर किए गए समझौते के मुताबिक टाटा एक वर्ष तक किसी भी कर्मचारी को नहीं निकाल सकता. अगर वो 1 वर्ष के बाद किसी को निकालना चाहता है तो उसे वीआरएस योजना के जरिए ही निकाला जा सकता है.