24 अप्रैल 2021 की सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जस्टिस नातुलापति वेंकट रमणा को सीजेआई पद की शपथ दिलाएंगे. इस समारोह के फौरन बाद जस्टिस रमणा सुप्रीम कोर्ट आकर पद संभालेंगे. कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानने वाले जस्टिस रमणा की कहानी सभी को प्रेरित करने वाली है. आइए जानें उनके बारे में ये खास बातें...
जस्टिस नातुलापति वेंकट रमणा का जन्म 27 अगस्त, 1957 को आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में हुआ था. उनके घर में किसानी का पेशा था. बचपन से ही पढ़ाई में खास रुचि रखने वाले जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमणा ने विज्ञान और कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की.
इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक है. यानी वो दो साल से भी कम समय के लिए CJI के पद पर रहेंगे, लेकिन उनके जीवन के लिए यह वाकई ऐतिहासिक पल होगा.
10 फरवरी 1983 को एनवी रमणा ने वकील के तौर पर करियर शुरु किया. 27 जून 2000 को वो आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए. उन्होंने 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम किया. न्यायाधीश रमणा को दो सितंबर 2013 में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया. 17 फरवरी 2014 को वो दिल्ली उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए.
उनका CJI के रूप में नियुक्ति का वारंट जारी हो चुका है. 48 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. वरिष्ठता के मामले में फिलहाल वो मौजूदा चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे के बाद सुप्रीम कोर्ट में दूसरे स्थान पर है. यानी जस्टिस एनवी रमणा सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के बाद सबसे सीनियर जज हैं. वह आंध प्रदेश हाई कोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे जो सीजेआई बनेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस रमणा को उनके कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए भी जाना जाता है. इसी साल वह उस खंडपीठ का भी हिस्सा थे जिसने घर में एक होम मेकर के काम के महत्व को समझाया था. वे उस खंडपीठ का हिस्सा भी थे जिसने जम्मू-कश्मीर में 4 जी मोबाइल इंटरनेट की अनुमति देने की मांग के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से दूरसंचार और इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित सभी आदेशों की समीक्षा करने के लिए भी कहा था.
इसकी नियुक्ति प्रक्रिया में चीफ जस्टिस अपने रिटायरमेंट के एक महीना पहले सिफारिश भेजते हैं, जिसमें सबसे वरिष्ठ जस्टिस का नाम भेजा जाता है. इसलिए ही चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने अपने उत्तराधिकारी और देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर न्यायमूर्ति एन वी रमणा के नाम की सिफारिश की थी. अब जिस पर मुहर लग चुकी है.